Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Chandrayaan-3: चांद पर भारत की मून वॉक, लैंडर से बाहर निकलकर रोवर ने की चहलकदमी; पढ़ें ISRO का ताजा अपडेट

चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की। अब विक्रम लैंडर से प्रज्ञान रोवर बाहर निकलकर चंद्रमा की सतह पर चट्टानों और गड्ढों के आसपास घूम रहा है। यह चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर ऐतिहासिक लैंडिंग के कुछ घंटों बाद अगला सफल चरण है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रज्ञान रोवर की सफल तैनाती के लिए इसरो को बधाई दी।

By Jagran NewsEdited By: Achyut KumarUpdated: Thu, 24 Aug 2023 08:46 AM (IST)
Hero Image
Chandrayaan-3 Landing: लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर सैर कर रहा रोवर प्रज्ञान

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को बताया कि विक्रम लैंडर से बाहर निकलकर प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर घूम रहा है। इसरो ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है।

इसरो ने क्या कहा?

इसरो ने 'एक्स' पर कहा- चंद्रयान-3 मिशन : चंद्रयान-3 रोवर: भारत में निर्मित... चांद के लिए बनाया गया! चंद्रयान-3 रोवर लैंडर से नीचे उतरा... भारत ने की चांद पर सैर! 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दी बधाई

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रज्ञान की सफल तैनाती के लिए इसरो टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा, 

विक्रम की लैंडिंग के कुछ घंटों बाद रोवर का बाहर निकलकर चांद की सतह पर घूमना चंद्रयान-3 के एक और चरण की सफलता का प्रतीक है। मैं उत्साह के साथ उस जानकारी और विश्लेषण की प्रतीक्षा कर रही हूं, जो प्रज्ञान हासिल करेगा और चंद्रमा के बारे में हमारी समझ को समृद्ध करेगा।

दक्षिणी ध्रुव पर चांद ने की सफल सॉफ्ट लैंडिंग

बता दें, 23 अगस्त को विक्रम लैंडर ने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। इसी के साथ भारत दुनिया का पहला देश बन गया, जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की है। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान), जिनका कुल वजन 1,752 किलोग्राम है, को चंद्रमा के परिवेश का अध्ययन करने के लिए चंद्रमा के एक दिन (लगभग 14 पृथ्वी दिवस) तक संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया है।

लैंडर और रोवर दोनों के पास चंद्रमा की सतह पर प्रयोग करने के लिए वैज्ञानिक पेलोड हैं। रोवर अपने पेलोड APXS, अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर, के माध्यम से चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा, ताकि रासायनिक संरचना प्राप्त की जा सके और चंद्रमा की सतह की समझ को और बढ़ाने के लिए खनिज संरचना का अनुमान लगाया जा सके।

चंद्रमा की लैंडिंग स्थल के आसपास मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना को निर्धारित करने के लिए प्रज्ञान के पास एक और पेलोड लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) भी है।

इसरो अध्यक्ष ने क्या कहा?

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने पहले कहा था, "लैंडर के लैंडिंग स्थल पर उतरने के बाद, बाहर आने वाले रैंप और रोवर की तैनाती होगी। इसके बाद सभी प्रयोग एक के बाद एक होंगे, जिनमें से सभी चांद पर सिर्फ एक दिन यानी पृथ्वी के 14 दिन में पूरा करना होगा।"