Chandrayaan-3 Landing: आज चांद पर होंगे हम, इन चार चरण में होगी लैंडर विक्रम की लैंडिंग; ये होगा अगला कदम
Chandrayaan-3 Landing Update पांच अगस्त को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। छह नौ 14 व 16 अगस्त को कक्षाओं में बदलाव कर यह चंद्रमा के करीब पहुंचा। 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल व लैंडर मॉड्यूल अलग-अलग हुए और लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ा। 18 और 19 अगस्त को दो बार डीबूस्टिंग के बाद लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सबसे करीबी कक्षा में पहुंचा।
By Narender SanwariyaEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Wed, 23 Aug 2023 05:21 AM (IST)
बेंगलुरु, एजेंसी। भारत का चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) इतिहास रचने को तैयार है। 140 करोड़ भारतीयों समेत पूरी दुनिया की निगाहें उस क्षण पर टिकी हैं जब भारतीय समयानुसार शाम 6:04 बजे लैंडर विक्रम चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग (Soft Landing) करेगा। इसके साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश (Chandrayaan 3 Landing News) बन जाएगा। इस मिशन (Mission Moon) पर केवल 600 करोड़ रुपये का खर्च आया है। हर भारतीय इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनना चाहता है। इसरो 23 अगस्त को शाम 5:20 बजे से इस घटनाक्रम का सीधा प्रसारण करेगा।
अधिकांश स्कूलों, कॉलेजों में भी सीधे प्रसारण की व्यवस्था की गई है। इसरो की वेबसाइट, इसके यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज के साथ ही दूरदर्शन के नेशनल चैनल पर भी प्रसारण होगा। इसरो ने मंगलवार को एक्स पर पोस्ट किया, मिशन तय समय पर है। नियमित जांच की जा रही है। इसरो ने विश्वास जताया कि कामयाबी अवश्य मिलेगी। अगर कोई तकनीकी समस्या आती है तो लैंडिंग 27 अगस्त तक टाली जा सकती है। अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई के अनुसार, विज्ञानियों का ध्यान अब चंद्रमा की सतह के ऊपर अंतरिक्ष यान की गति को कम करने पर होगा। यदि हम उस गति को नियंत्रित नहीं करते हैं तो क्रैश लैंडिंग की आशंका रहेगी।
बता दें कि अब तक अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ (रूस) और चीन ने ही चंद्रमा की सतह पर अपने लैंडर उतारे हैं। 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एलवीएम3-एम4 राकेट चंद्रयान-3 को लेकर रवाना हुआ था। इसके बाद इसरो ने पृथ्वी से दूर कई बार चंद्रयान-3 की कक्षाएं बदली थीं। एक अगस्त को स्लिंगशाट के बाद पृथ्वी की कक्षा छोड़कर यान चंद्रमा की कक्षा की ओर बढ़ा था।
पांच अगस्त को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। इसके बाद छह, नौ, 14 व 16 अगस्त को कक्षाओं में बदलाव कर यह चंद्रमा के करीब पहुंचा। 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल व लैंडर मॉड्यूल अलग-अलग हो गए और लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ा। 18 और 19 अगस्त को दो बार डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) के बाद लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सबसे करीबी कक्षा में पहुंचा है।
चार चरणों में पूरी होगी लैंडिंग, अंतिम 17 मिनट बेहद अहम होंगे
सभी मापदंडों की जांच करने और लैंडिंग का निर्णय लेने के बाद इसरो बेंगलुरु के निकट बयालालू में अपने इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) से लैंडिंग से कुछ घंटे पहले सभी आवश्यक कमांड लैंडिंग मॉड्यूल पर अपलोड करेगा। सॉफ्ट-लैंडिंग की प्रक्रिया 19 मिनट में पूरी होगी। इनमें से 17 मिनट बेहद अहम होंगे। इस दौरान लैंडर के इंजन को सही समय और उचित ऊंचाई पर चालू करना होगा। सही मात्रा में ईंधन का उपयोग करना होगा और नीचे उतरने से पहले यह पता लगाना होगा कि किसी प्रकार की बाधा,पहाड़ी या गड्ढा नहीं हो।
ये हैं प्रक्रियाएं1. रफ ब्रेकिंग चरण : इस समय चंद्रमा की 25 किमी x 134 किमी कक्षा में मौजूद चंद्रयान-3 का वेग करीब 1680 मीटर प्रति सेकंड है। लैंडर 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रमा की सतह पर उतरना शुरू करेगा। विक्रम लैंडर में लगे चार इंजनों को फायर कर वेग को कम किया जाएगा।2. अल्टीट्यूड होल्ड चरण : लगभग 10 सेकंड तक "अल्टीट्यूड होल्ड चरण" की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इस समय लैंडर 3.48 किमी की दूरी तय करते हुए क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर स्थिति की ओर झुकेगा। ऊंचाई 7.42 किमी से घटाकर 6.8 किमी और वेग 336 मीटर/सेकंड (क्षैतिज) व 59 मीटर/सेकंड (ऊर्ध्वाधर) कर दिया जाएगा।
3. फाइन ब्रेकिंग चरण : यह प्रक्रिया 175 से सेकंड चलेगी। इस चरण में लैंडर पूरी तरह से ऊर्ध्वाधर स्थिति में चला जाएगा, ऊंचाई 6.8 किमी से घटाकर 800/1000 मीटर कर दी जाएगी और गति लगभग शून्य मीटर/सेकंड होगी। लगभग 6.8 किमी की ऊंचाई पर पहुंचने पर केवल दो इंजनों का उपयोग किया जाएगा। अन्य दो इंजन बंद कर दिए जाएंगे। 150 से 100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर लैंडर अपने सेंसर और कैमरों का उपयोग करके सतह को स्कैन करेगा ताकि यह जांचा जा सके कि कोई बाधा तो नहीं है और फिर सॉफ्ट-लैंडिंग करने के लिए यह नीचे उतरना शुरू कर देगा।
4. टर्मिनल डिसेंट चरण : जब लैंडर निर्धारित लैंडिंग स्थल से करीब 10 मीटर की ऊंचाई पर होगा तो इसके सभी इंजन बंद कर दिए जाएंगे ताकि यह सीधे अपने पैरों पर नीचे आ सके। यह अंतिम चरण होगा। पूरी प्रक्रिया के दौरान विक्रम लैंडर पर लगे विशेष सेंसर और आनबोर्ड कम्प्यूटर लगातार इसकी दिशा को नियंत्रित करते रहेंगे।
अहम है ध्रुवीय क्षेत्रचंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र पर्यावरण और उनके द्वारा पेश की जाने वाली कठिनाइयों के कारण बहुत अलग भूभाग हैं और इसलिए अभी अज्ञात बने हुए हैं। विज्ञानियों का मानना है कि इस क्षेत्र के हमेशा अंधेरे में रहने वाले स्थानों पर पानी की प्रचुर मात्रा हो सकती है।...जब क्रैश हो गया था चंद्रयान-2 का लैंडरसितंबर 2019 में चंद्रयान-2 मिशन अंतिम चरण में कामयाबी हासिल करते-करते रह गया था। लैंडर से जब संपर्क टूटा था तो उस समय वह अल्टीट्यूड होल्ड चरण और “फाइन ब्रेकिंग चरण” के बीच था। अंतिम “टर्मिनल डिसेंट चरण” में प्रवेश करने से पहले ही वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
चंद्रमा पर पहुंचकर अलग अलग होगा लैंडर और रोवरलैंडर अपने साथ रोवर को लेकर चांद की सतह पर लैंड करेगा। लैंडर में लगे पेलोड से चांद की सतह का अध्ययन किया जाएगा। इसमें नासा का भी पेलोड लगा है।
- रोवर कुछ दूरी तक चलकर चांद की सतह का अध्ययन करेगा।
- रोवर प्रज्ञान में भेजे गए तीन पेलोड में से पहला चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की मिट्टी और चट्टान का अध्ययन करेगा।
- दूसरा पेलोड रासायनिक पदार्थों और खनिजों का अध्ययन करेगा और देखेगा कि इनका स्वरूप कब-कितना बदला है ताकि उनका इतिहास जाना जा सके।
- तीसरा पेलोड देखेगा कि चांद पर जीवन की क्या संभावना है और पृथ्वी से कोई समानता है कि नहीं।
- यह मिशन एक चंद्र दिवस का होगा। चंद्रमा पर एक दिन को चंद्र दिवस कहते हैं। यह 14 दिन का होता है।