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Chandrayaan 3 Mission: विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान पर मंडरा रहा खतरा! ISRO के पूर्व अध्यक्ष ने दिया अपडेट

इसरो (ISRO) ने विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान को दो और चार सितंबर को पूरी तरह चार्ज करने के बाद स्लीप मोड में डाल दिया था। दरअसल चंद्रमा पर रात हो चुकी थी जिसके कारण वहां का तापमान माइनस 150 से माइनस 200 डिग्री तक पहुंच जाता है। ऐसे में उपकरणों को नुकसान पहुंचने का खतरा था। फिलहाल इसरो वैज्ञानिकों को वहां पर सूर्योदय का इंतजार है।

By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Fri, 22 Sep 2023 10:29 AM (IST)
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विक्रम लैंडर और रोवर को जगाने की तैयारी में इसरो

नई दिल्ली, एजेंसी। चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3 Mission) के विक्रम लैंडर (Vikram Lander) और प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) को आज स्लीप मोड से बाहर लाने की तैयारी चल रही है। पिछले 16 दिनों से यह स्लीप मोड में थे। दरअसल, चांद पर रात होने के कारण इन्हें स्लीप मोड में डाला गया था।

16 दिनों तक स्लीप मोड में रहे लैंडर-प्रज्ञान

इसरो (एसएसी) के पूर्व चेयरमैन जी माधवन नायर ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान पिछले 16 दिनों से स्लीप मोड में हैं। इस दौरान सतह का तापमान -150 डिग्री सेल्सियस से अधिक था, ऐसे में बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य तंत्र कैसे काम करेंगे यह एक चिंता का विषय है।

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इन्हें दोबारा शुरू करने के लिए सभी जांच पूरे

पूर्व चेयरमैन जी माधवन ने कहा, "विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अब लगभग दो सप्ताह से गहरी नींद में हैं। यह लगभग फ्रीजर से किसी चीज को निकालकर उसकी जांच करने और फिर उसका उपयोग करने की कोशिश करने जैसा है। वहां का तापमान -150 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया होगा, उस तापमान में बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य तंत्र कैसे काम करेंगे, यह चिंता का विषय है। हालांकि, इसे दोबारा शुरू करने के लिए सतह की पर्याप्त जांच कर ली गई है, लेकिन फिर भी हम प्रार्थना कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा, "सौर ताप से वह उपकरण और चार्जर बैटरियां गर्म होंगी। यदि ये दोनों सफलतापूर्वक चार्ज हो जाती है, तो यह काफी अच्छा रहेगा और संभावना बन जाएगी कि सिस्टम फिर से चालू हो जाएगा। एक बार यह चालू हो जाए, तो  हम अगले 14 दिनों में कुछ और दूरी तक घूम सकेंगे और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर और अधिक डेटा इकट्ठा कर सकेंगे।"

23 अगस्त को हुई थी सॉफ्ट लैंडिंग

भारत का चंद्रयान-3 मिशन 23 अगस्त सफल हो गया, जब यान ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। गौरतलब है कि चांद इस हिस्से पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बन गया है। चांद पर उतरने के बाद, लैंडर और रोवर और यान पर मौजूद अन्य पेलोड ने काफी अहम डेटा भेजे हैं, जिसमें वहां की मिट्टी, खनिज आदि की जानकारी शामिल थी। 

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