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आराम कीजिए विक्रम और प्रज्ञान, चांद के अनसुलझे रहस्यों से पर्दा उठाकर गहरी नींद में सो गए लैंडर और रोवर

Chandrayaan-3 Mission चांद के दक्षिणी ध्रुव पर फिलहाल रात है और तापमान माइनस 200 तक पहुंच चुका है। इस तापमान में काम करना लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के लिए मुमकिन नहीं है। इसरो ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल के जरिए जानकारी दी कि प्रज्ञान रोवर और लैंडर विक्रम स्लिप मोड में जा चुके हैं। भारतीय समयानुसार सुबह 8 बजे विक्रम लैंड को स्लीप मोड में भेजा गया।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Mon, 04 Sep 2023 03:35 PM (IST)
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चांद पर पहुंचने के तकरीबन 10 दिनों के बाद प्रज्ञान रोवर और लैंडर विक्रम गहरी नींद में सो गए हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। Chandrayaan-3 Mission। चंद्रयान 3 मिशन की वजह से चांद के दक्षिणी ध्रुव से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी हमारे पास अब मौजूद है। चांद पर पहुंचने के बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने सामान्य ढंग से अपने काम को अंजाम दिया। चांद पर पहुंचने के तकरीबन 10 दिनों के बाद प्रज्ञान रोवर और लैंडर विक्रम गहरी नींद में सो गए हैं।

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर फिलहाल रात है और तापमान माइनस 200 तक पहुंच चुका है। इस तापमान में काम करना लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के लिए मुमकिन नहीं है। इसरो ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल के जरिए जानकारी दी कि प्रज्ञान रोवर और लैंडर विक्रम स्लिप मोड में जा चुके हैं। भारतीय समयानुसार, सुबह 8:00 बजे विक्रम लैंडर को स्लीप मोड में भेजा गया।

पेलोड को स्विच ऑफ कर दिया गया

विक्रम लैंडर का स्लीप मोड ऑन करने से पहले इससे पहले ChaSTE, RAMBHA-LP and ILSA को नए स्थान पर भेजा गया। पेलोड को स्विच ऑफ कर दिया गया है। हालांकि, लैंडर रिसीवर चालू रखे गए हैं। वहीं, उनके नजदीक प्रज्ञान रोवर भी सो चुका है।

इसरो ने आगे जानकारी दी कि । 22 सितंबर 2023 के आसपास ये सभी डिवाइस की फिर से काम करने लगेंगे। बता दें कि चांद पर एक रात पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है, ऐसे में कहा जा सकता है कि अब प्रज्ञान 14 दिन बाद उठेगा और अपने आगे के टास्क को पूरा करेगा।

लैंडर की फिर से हुई सॉफ्ट लैंडिंग

वहीं, सोमवार को इसरो ने एक वीडियो जारी कर बताया कि विक्रम लैंडर ने अपना 'हॉप एक्सपेरिमेंट' सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इसरो ने जानकारी दी कि कि रोवर के स्लीप मोड पर जाने के बाद कंट्रोल रूम के कमांड पर, विक्रम लैंडर के इंजन को दोबारा से चालू किया गया और उसे 40 सेमी ऊपर उठाया गया, इसके बाद अपनी जगह से 30 - 40 सेमी दूर लैंडर ने फिर से सॉफ्ट लैंडिंग की। दरअसल, इस प्रक्रिया का मतलब है कि लैंडर ने सफलतापूर्वक अपना काम कर लिया है।

'हॉप एक्सपेरिमेंट' के बाद जगह में हुए बदलाव की तस्वीरें भी इसरो ने दुनिया से साझा किया।

अब सूरज उगने का इंतजार 

बता दें कि लैंडर और रोवर में सोलर पैनल लगे हैं, जो सूरज की ऊर्जा से चार्ज होते हैं। अंधेरे में दोनों डिवाइस कुछ घंटे ही काम कर सकते हैं। उम्मीद है कि सूरज उगने के बाद सोलर पैनल के जरिए दोनों डिवाइस चार्ज हो और एक बार फिर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान अपने काम में जुट जाएं।