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देश के इस जिले की जमीन के साथ है चांद का कनेक्शन, यहां की मिट्टी में छिपा है Chandrayaan 3 की सफलता का राज

Chandrayaan 3 चंद्रयान 3 मिशन को सफल बनाने में इसरो के वैज्ञानिकों के अलावा हमारे देश की मिट्टी का भी सुनहरा हाथ है। जी हां यह बात सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन ये सच है। आज अगर चंद्रयान-3 मिशन को लेकर इसरो की तारीफ हो रही है तो उसके पीछे तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 400 किलोमीटर दूर मौजूद नामक्कल की मिट्टी (Namakkal Soil) का भी योगदान है।

By AgencyEdited By: Piyush KumarUpdated: Wed, 23 Aug 2023 01:59 PM (IST)
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नामक्कल जिले की मिट्टी से मिलती जुलती है चांद की मिट्टी।(फोटो सोर्स: जागरण)
नई दिल्ली, पीटीआई। अंतरिक्ष क्षेत्र में इतिहास रचने के लिए इसरो तैयार है। पूरी दुनिया की निगाहें चंद्रयान- 3 मिशन पर है। आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर विक्रम लैंडर चांद पर सॉफ्ट लैंड करने वाला है।

चार साल पहले चंद्रयान-2 मिशन के दौरान विक्रम लैंडर चांद की सतह पर सफलतापूर्व लैंड करने से चूक गया था, जिसके बाद इसरो ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) के जरिए मिशन को पूरा करने का फैसला किया। मिशन मून के लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की है।

वैज्ञानिकों ने क्यों जमा की तमिलनाडु की मिट्टी?

इस मिशन को सफल बनाने में इसरो के वैज्ञानिकों के अलावा हमारे देश की मिट्टी का भी सुनहरा हाथ है। जी हां, यह बात सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन ये सच है। आज अगर चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3 Live) मिशन को लेकर दुनिया इसरो की तारीफ हो रही है तो उसके पीछे तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 400 किलोमीटर दूर मौजूद नामक्कल जिले की मिट्टी (Namakkal Soil) का भी योगदान है।

साल 2012 से ही इसरो चंद्रयान मिशन की क्षमताओं की जांच-परख के लिए नामक्कल में मौजूद मिट्टी का इस्तेमाल कर रहा है। इस जिले की जो जमीन है वो चंद्रमा की सतह से मिलती-जुलती है।

इसरो अपने लैंडर मॉड्यूल की क्षमताओं की जांच करने के लिए यहां की मिट्टी का इस्तेमाल करता है। जानकारी के मुताबिक, यह तीसरी बार है जब परीक्षण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने नामक्कल की मिट्टी का इस्तेमाल किया है।

चांद पर मौजूद है 'एनॉर्थोसाइट' मिट्टी

सवाल यह है कि आखिर इस मिट्टी की क्या खासियत है, जिसे इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 मिशन के लिए इस्तेमाल किया है? तो इसका जवाब पेरियार विश्वविधालय के भूविज्ञान विभाग के निदेशक प्रोफेसर एस अनबझगन ने दिया है।

समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा,यहां की मिट्टी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद मिट्टी के अनुरूप है। चांद की सतह पर 'एनॉर्थोसाइट' मिट्टी मौजूद है। मिट्टी का यह प्रकार इस इलाके में पाई जाती है।

नामक्कल में मौजूद मिट्टी चंद्रमा की सतह के समान

उन्होंने बताया कि इसरो को कम से कम 50 टन मिट्टी भेजी गई, जो चंद्रमा की सतह से मिलती-जुलती है। इसरो के वैज्ञानिकों ने भी इस बात को माना है कि नामक्कल में मौजूद मिट्टी चंद्रमा की सतह के समान है। उन्होंने आगे बताया कि नामक्कल के पास मौजूद सीतमपुंडी और कुन्नामलाई गांव में भी कुछ उसी प्रकार की मिट्टी है,जिसे इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान मिशन की परीक्षण के लिए इस्तेमाल करते हैं।