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Chandrayaan-3: अबकी बार चांद को अपनी मुट्ठी में करेगा भारत, अधूरा सपना पूरा करने आज उड़ान भरेगा चंद्रयान-3

Chandrayaan 3 Mission Launch Today मून मिशन चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। चंद्रयान-3 लॉन्चिंग का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। चंद्रयान-3 के सॉफ्ट लैंडिंग से भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा और इससे देश में अंतरिक्ष विज्ञान के विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी। शुक्रवार को रवाना होने वाला ‘चंद्रयान-3’ वर्ष 2019 के ‘चंद्रयान-2’ का ही अगला चरण है।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Fri, 14 Jul 2023 05:30 AM (IST)
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अधूरा सपना पूरा करने आज उड़ेगा हमारा चंद्रयान।

नई दिल्ली, जेएनएन। Chandrayaan 3 Launch Today: जिस घड़ी का सबको बेसब्री से इंतजार था, आखिर वह आ ही गई। हर भारतीय गौरवान्वित है, जोश में है और उमंगें हिलोरें मार रही हैं। आखिर हो भी क्यों न? अधूरा सपना पूरा करने के लिए अपना चंद्रयान-3 आज उड़ान भरेगा। ऐतिहासिक क्षण होगा ये। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से दोपहर 2:35 पर अपना फैट बाय राकेट (एलवीएम3-एम4) चंद्रयान-3 को लेकर मिशन चंद्रमा के लिए चलेगा। भारतीयों की बात छोड़िए, विश्वभर की निगाहें इस पर टिकी हैं।

चंद्रयान-3 मिशन की सफलता हमें अमेरिका, चीन, तत्कालीन सोवियत संघ के बाद वह चौथा देश बनाएगी जो चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग करने में कामयाब रहा। इसरो ने कहा कि देश के तीसरे चंद्र अभियान ‘चंद्रयान-3’ के प्रक्षेपण के लिए 25.30 घंटे की उलटी गिनती वीरवार को श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र में शुरू हो गई। शुक्रवार को रवाना होने वाला ‘चंद्रयान-3’ वर्ष 2019 के ‘चंद्रयान-2’ का ही अगला चरण है। उस चंद्र अभियान में जो लक्ष्य भारत हासिल नहीं कर पाया था, 23 अगस्त को चांद की सतह पर इसकी साफ्ट लैंडिंग से वह गौरव हासिल कर सकेगा।

चंद्रयान-2 मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ साफ्ट लैंडिंग करने में कामयाब नहीं हो पाया था। भारी उपकरण ले जाने की क्षमता रखने वाला एलवीएम3-एम4 राकेट शुक्रवार को इसरो के महत्वाकांक्षी ‘चंद्रयान-3’ को चंद्रमा की यात्रा पर ले जाएगा। चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रपल्शन माड्यूल, लैंडर माड्यूल और एक रोवर शामिल है जिसका उद्देश्य अंतरग्रहीय अभियानों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और उन्हें प्रदर्शित करना है।

चंद्र मिशन के माध्यम से इसरो के वैज्ञानिकों का लक्ष्य विभिन्न क्षमताओं का प्रदर्शन करना है, इनमें चंद्रमा की कक्षा पर पहुंचना, लैंडर का उपयोग कर चंद्रमा की सतह पर यान को सुरक्षित उतारना और लैंडर में से रोवर का बाहर निकलकर चंद्रमा की सतह के बारे में अध्ययन करना शामिल है।

वहां लैंडिंग होगी, जहां कोई नहीं उतरा

अब तक अन्य देश चंद्रमा की मध्य रेखा पर उतरे हैं, क्योंकि वहां सतह समतल है। इसरो ने चंद्रमा पर दक्षिणी ध्रुव पर सुरक्षित लैंडिंग क्षेत्र ढूंढा है। लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 70 डिग्री लेटीट्यूड पर उतरेगा जहां कोई नहीं उतरा है। चीन ने 45 डिग्री लेटीट्यूड पर लैंडर उतारा था। दोपहर 2: 35 पर चंद्रयान-3 को लेकर उड़ान भरेगा फैट बाय राकेट l चंद्रमा की सतह पर यान को सफलतापूर्वक उतारने का है लक्ष्य l

ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा भारत

इसरो अध्यक्ष, अन्य विज्ञानियों ने की मंदिर में पूजा-अर्चना इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए गुरुवार को श्रीहरिकोटा के निकट सुल्लुरपेटा में श्री चेंगलम्मा परमेश्वरिनी मंदिर में पूजा-अर्चना की। सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 कल अपनी यात्रा शुरू करेगा। उम्मीद है कि सब कुछ ठीक रहेगा और यह 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरेगा। इसके अलावा, इसरो विज्ञानियों की एक टीम ने गुरुवार सुबह पास के तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर मंदिर का दौरा कर मिशन की कामयाबी की मन्नत मांगी।

चंद्रयान-2 की नाकामी को देखते हुए किए गए 21 बदलाव

विफलता से बचने के लिए एल्गोरिदम प्रोसेसिंग सेंसर, हार्डवेयर, साफ्टवेयर, सेंसर आदि में अहम बदलाव किए गए हैं l लैंडिंग माड्यूल को आगे बढ़ाने वाले आर्बिटर के प्रपल्शन माड्यूल में बदलाव किया गया है। आठ पेलोड की जगह चंद्रयान-3 में सिर्फ एक पेलोड लगाया गया है।

लांचिंग को तैयार ‘चंद्रयान-3’, पूजा-अर्चना का दौर जारी

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने ‘चंद्रयान-3’ मिशन की सफलता के लिए प्रक्षेपण से पहले वीरवार को सुल्लुरपेटा स्थित श्री चेंगलम्मा परमेश्वरिनी मंदिर में पूजा-अर्चना की। यह मंदिर श्रीहरिकोटा से 22 किमी पश्चिम में तिरुपति जिले में स्थित है l

लैंडर विक्रम में सुधार

वजन कम रखने के लिए पांच की बजाय चार इंजन। लैंडर के पैर ज्यादा ताकतवर बनाए गए। गति सीमा दो मीटर प्रति सेकेंड से तीन मीटर प्रति सेकेंड की गई। अधिक ईंधन, अतिरिक्त सोलर पैनल, ट्रैकिंग टेलीमेट्री व कमांड एंटीना से लैस। काफी एडवांस्ड साफ्टवेयर ,जो इसकी गति में किसी भी अनियमितता को रीयल टाइम में सुधार सके। लैंडिंग क्षेत्र बढ़ाया।