Chandrayaan-3 Landing: इतिहास रचने के बाद कैसे काम करेगा चंद्रयान? अब तीनों पेलोड के सामने क्या है मिशन
चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग से सिर्फ भारत का मान ही नहीं बढ़ा है बल्कि इस मिशन से लोगों को कई फायदे होने वाले हैं। चांद पर पानी की खोज से लेकर वहां की मिट्टी की जांच तक सभी महत्वपूर्ण जानकारियां हमें हमारे मिशन के जरिए मिल सकेगी। भारत ने 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के तहत चंद्रमा पर लैंडर को उतारने की कोशिश पहले की थी।
By Jagran NewsEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Wed, 23 Aug 2023 06:21 PM (IST)
Chandrayaan 3 Landing: नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क/एजेंसी। चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग से सिर्फ भारत का मान ही नहीं बढ़ा है, बल्कि इस मिशन से लोगों को कई फायदे होने वाले हैं। चांद पर पानी की खोज से लेकर वहां की मिट्टी की जांच तक, सभी महत्वपूर्ण जानकारियां हमें हमारे मिशन के जरिए मिल सकेगी। विशिष्ट तकनीक ने इस बार चंद्रयान-3 अभियान को सफल बनाया है।
चंद्रयान की लैंडिंग के बाद जानना जरूर है कि लैंड होने के बाद तीनों पेलोड क्या करेंगे। सफल लैंडिंग के बाद अब उसमें से निकलने वाले रोवर प्रज्ञान के चंद्रमा पर 14 दिनों तक काम करने की संभावना है। रोवर पर लगे कई कैमरों की मदद से हम तस्वीरें ले सकेंगे।
अब तीनों पेलोड करेंगे ये तीन काम
चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग हो चुकी है। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर प्रज्ञान में भेजे गए तीन पेलोड में से पहला चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की मिट्टी और चट्टान का अध्ययन करेगा। वहीं, दूसरा पेलोड रासायनिक पदार्थों और खनीजों का अध्ययन करेगा और देखेगा।साथ ही दूसरा पेलोड ये देखेगा कि रसायनिक पदार्थों और खनीजों के बदलते स्वरूप की जांच करेगा। वहीं, तीसरा पेलोड ये देखेगा कि चंद्रमा पर जीवन की क्या और कितनी संभावना है। पृथ्वी से इसकी कोई समानता है भी कि नहीं।
पूरे विश्व समुदाय को होगा लाभ
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने चंद्रयान को लेकर कहा कि चंद्रयान-3 के निष्कर्षों और इनपुट्स से पूरे विश्व समुदाय को लाभ होगा। डॉ. जितेंद्र ने कहा कि अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में सफलापूर्वक प्रवेश कराने के लिए मिशन चंद्रमा बहुत सटीक तरीके से क्रियान्वित किया गया है।भारत ने 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के तहत चंद्रमा पर लैंडर को उतारने की कोशिश पहले की थी। हालांकि, आखिरी क्षणों में लैंडर से संपर्क टूट गया था और उसकी क्रैश लैंडिंग हो गई थी।
इस बार हुई सफल लैंडिंग के लिए इसरो ने कई अतिरिक्त सावधानियां बरती थीं। इसरो प्रमुख ने हाल ही में कहा था कि लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लैंडर के वेग को कम कर 30 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने तक की प्रक्रिया होती है।