Chandrayaan-3 Landing: चांद पर उतरते ही तीनों पेलोड करेंगे ये तीन काम, जानिए सॉफ्ट लैंडिंग क्या है
Chandrayaan 3 Landing इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने हाल ही में कहा कि लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लैंडर के वेग को कम कर 30 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने तक की प्रक्रिया है। हमें इसे क्षैतिज से ऊध्र्वाधर दिशा में स्थानांतरित करना है। लैंडिंग प्रक्रिया की शुरुआत में वेग लगभग 1.68 किमी प्रति सेकंड है लेकिन यह गति चंद्रमा की सतह के क्षैतिज है।
By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Fri, 18 Aug 2023 06:08 AM (IST)
Chandrayaan 3 Landing Kab Hogi: नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क/एजेंसी। विशिष्ट तकनीक इस बार चंद्रयान-3 अभियान को सफल बनाएगी। भारत ने 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के तहत चंद्रमा पर लैंडर को उतारने का प्रयास किया था। हालांकि आखिरी क्षणों में लैंडर से संपर्क टूट गया था और उसकी क्रैश लैंडिंग हो गई थी। इस बार सफल लैंडिंग के लिए इसरो ने इसमें कई अतिरिक्त सावधानियां बरती हैं। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने हाल ही में कहा कि लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लैंडर के वेग को कम कर 30 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने तक की प्रक्रिया है। हमें इसे क्षैतिज से ऊध्र्वाधर दिशा में स्थानांतरित करना है। उन्होंने कहा कि लैंडिंग प्रक्रिया की शुरुआत में वेग लगभग 1.68 किमी प्रति सेकंड है, लेकिन यह गति चंद्रमा की सतह के क्षैतिज है।
सफल लैंडिंग की प्लानिंगचंद्रयान-3 यहां लगभग 90 डिग्री झुका हुआ है, इसे लंबवत करना है। इसलिए क्षैतिज से ऊध्र्वाधर में बदलने की प्रक्रिया अहम है। हमने बहुत सारे सिमुलेशन किए हैं। यहीं पर हमें पिछली बार (चंद्रयान -2) समस्या हुई थी। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए इस बार कई तकनीकी परिवर्तन किए गए हैं। इसरो के अनुसार यह सुनिश्चित करना होगा कि ईंधन की खपत कम हो, दूरी की गणना सही हो और सभी गणितीय मानक ठीक रहे। सोमनाथ ने कहा कि सभी चरणों में आवश्यक प्रक्रिया को नियंत्रित करने और उचित लैंडिंग करने का प्रयास करने के लिए बहुत सारे एल्गोरिदम लगाए गए हैं।
तीनों पेलोड करेंगे ये तीन काम
सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर प्रज्ञान में भेजे गए तीन पेलोड में से पहला चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की मिट्टी और चट्टान का अध्ययन करेगा। दूसरा पेलोड रासायनिक पदार्थों और खनीजों का अध्ययन करेगा और देखेगा कि इनका स्वरूप कब-कितना बदला है ताकि उनका इतिहास जाना जा सके। तीसरा पेलोड ये देखेगा कि चंद्रमा पर जीवन की क्या संभावना है और पृथ्वी से इसकी कोई समानता है भी कि नहीं। चंद्रयान-3 के परियोजना निदेशक एम अन्नादुरई ने कहा कि अब वास्तव में मैच शुरू हो गया है। ये अंतिम ओवर हैं जिनके बारे में हम बात कर रहे हैं। उम्मीद है इस बार मिशन पूरी तरह कामयाब रहेगा।
चंद्रयान-3 के निष्कर्षों से पूरे विश्व समुदाय को होगा लाभकेंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 के विशेष निष्कर्षों और इनपुट्स से पूरे विश्व समुदाय को लाभ होगा। प्रत्येक भारतीय और पूरी दुनिया हर पल इसे देख रही है और सांस रोककर अंतिम परिणाम की प्रतीक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में सफलापूर्वक प्रवेश कराने के लिए मिशन चंद्रमा बहुत सटीक तरीके से क्रियान्वित किया गया है। चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग के बाद उसमें से निकलने वाले रोवर प्रज्ञान के चंद्रमा पर 14 दिनों तक काम करने की संभावना है। रोवर पर लगे कई कैमरों की मदद से हम तस्वीरें ले सकेंगे।