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छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती 2022: शिवाजी महाराज जयंती के अवसर पर जानें उनके प्रेरक विचार और जीवन के बारे में

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022 महान मराठा राजा छत्रपति शिवाजी की आज 392वीं जयंती है पूरे देश में जगह-जगह पर छत्रपति महाराज की जयंती मनाई जा रही है शिवाजी जयंती की तिथि हर साल क्यों बदलती है और क्या है उनकी जीवन गाथा जानें इस खबर में-

By Ashisha RajputEdited By: Updated: Mon, 21 Mar 2022 01:00 PM (IST)
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छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती 2022: शिवाजी महाराज की जयंती पर खास

नई दिल्ली, जेएनएन। भारत में आज महान मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की 392वीं जयंती मनाई जा रही है, पूरा देश छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती के अवसर पर याद कर रहा है। धरती पर कुछ ऐसी हसितयां जन्म लेती हैं, जिनके कर्म और विचार सदियों तक लोगों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं, ऐसे ही एक महान व्यक्तित्व के स्वामी छत्रपति शिवाजी महाराज का आज के ही दिन 1630 में पुणे के शिवनेरी किले में जन्म हुआ था। आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें और उनके प्रेरणादायक विचारों के बारे मे-

क्यों हर साल बदलती है छत्रपति शिवाजी की जन्मतिथि

महान मराठा छत्रपति शिवाजी की जयंती को एक पर्व की तरह मनाया जाता है, लोग यह दिन गर्व के साथ मनाते हैं, इस दिन ढेरों सांस्कृतिक कार्यकर्म और जुलूसों का आयोजन किया जाता है। मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी का जन्म आज के दिन 1630 में हुआ था। आपको बता दे कि शिवाजी की जयंती का दिन हर साल बदलता रहता है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार, छत्रपति शिवाजी का जन्म फाल्गुन महीने (पारंपरिक मराठी कैलेंडर के अनुसार) कृष्ण पक्ष के तीसरे दिन में हुआ था। यही कारण है कि शिवाजी जयंती फरवरी-मार्च के बीच में मनाई जाती है, जिसके चलते हर वर्ष जन्मतिथि बदलती रहती है। 

छत्रपति शिवाजी ने बचपन से ही खुद कर लिया था युद्ध के लिए तैयार 

शिवाजी भोंसले, जिन्हें दुनिया छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से जानती है। वह एक ऐसे महान योद्धा थे, जो अपने जीवन में बहुत पहले ही युद्ध के लिए तैयार हो गए थे और उन्होंने कई युद्ध लड़े थे। वह एक भारतीय योद्धा और मराठा वंश के सदस्य थे, उनके पिता शाहजी भोसले एक सेनापति थे, जबकि उनकी मां जीजाबाई एक धार्मिक महिला थीं। उन्होंने अपनी माता से सीखे हुए ज्ञान को अपने जीवन में उतार लिया था, यही वजह थी की वह धर्म और आध्यात्म से काफी जुड़े हुए थे। शिवाजी महाराज बचपन से ही सामंती प्रथा के खिलाफ थे और उन्होंने मुगल शासकों की क्रूर नीतियों का जमकर विरोध किया था। इसी जोश के कारण उन्होंने मुगलों को धूल चटाई थी।

छत्रपति शिवाजी महाराज ने समुद्री शक्तियों को बढ़ावा देने के लिए ढेरों काम किया था, जिसमें उन्होंने शक्तिशाली नौसेना सेना का निर्माण किया। छत्रपति शिवाजी महाराज किसी से कोई भेदभाव नहीं करते थे। वह महिलाओं के बहुत बड़े समर्थक थे, उन्होंने महिलाओं के उत्थान के लिए भी बहुत से कार्य किए। साथ ही वह सदैव  महिलाओं  के सम्मान के लिए खड़े रहते थे। शिवाजी महाराज जाति-संघर्ष के कड़े विरोधी थे। उन्हें एक कुशल और महान युद्ध रणनीतिकार के रूप में भी जाना जाता है।