बस्तर के आदिवासियों की आस्था का प्रतीक नंदीराज पहाड़, कॉर्पोरेट से बचाने के लिए लड़ रहे ऐसी लड़ाई
बस्तर के आदिवासी पीढ़ियों से नंदीराज पहाड़ को पारंपरिक देवता बूढ़ा देव का निवास स्थल मानते आ रहे हैं।
By Manish PandeyEdited By: Updated: Sat, 08 Jun 2019 01:43 PM (IST)
दंतेवाड़ा, जेएनएन। छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासी अपने पारंपरिक देवता के घर को बचाने के लिए कॉर्पोरेट घरानों के साथ सीधी लड़ाई लड़ रहे हैं। यहां बैलाडिला में स्थित नंदीराज पहाड़ दक्षिण छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा पहाड़ है और बस्तर के आदिवासी पीढ़ियों से इसे अपने पारंपरिक देवता बूढ़ा देव का निवास स्थल मानते आ रहे हैं। इस पहाड़ पर लंबे अर्से से कॉर्पोरेट घरानों की नजर है, क्योंकि यह पहाड़ दुनिया के सबसे बेहतरीन लौह अयस्क का एक विशाल भंडार भी है। हाल ही में इस पहाड़ के एक हिस्से पर अयस्क उत्खनन के लिए एनएमडीसी (नेशनल मिनरल डेव्हलपमेंट कॉर्पोरेशन) ने अदानी समूह को खदान का आवंटन किया है। इसके बाद यहां के आदिवासी अपने देवता के घर को बचाने के लिए कॉर्पोरेट कंपनी के विरोध में एकजुट हो गए हैं।
बैलाडिला के नंदीराज पहाड़ पर उत्खनन के विरोध में शुक्रवार को बड़ी संख्या ग्रामीण किरंदुल में एकत्र हुए। चेकपोस्ट के सामने धरना-प्रदर्शन करते कर्मचारियों को काम पर जाने नहीं दिया। इससे एनएमडीसी का उत्पादन पूरी तरह प्रभावित ठप रहा और कंपनी को करोड़ों का नुकसान हुआ है। उधर हिरोली सहित आसपास के गांव में बड़ी संख्या में नक्सलियों के पर्चे मिले हैं। जिसमें इस धरना- प्रदर्शन में शामिल होकर अडानी ग्रुप और उत्खनन का विरोध करने कहा गया है। संदिग्ध लोगों पर पुलिस नजर बनी हुई है। सुरक्षा को लेकर पुलिस सतर्क रही करीब 400 जवानों की तैनाती किरंदुल इलाके में की गई थी। संयुक्त पंचायत संघर्ष समिति के बैनर तले ग्रामीण किरंदुल के एनएमडीसी (नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कार्पोरेशन) में आदिवासी प्रदर्शन कर रहे हैं। इस प्रदर्शन में शामिल होने दंतेवाड़ा के अलावा सुकमा, बीजापुर से भी ग्रामीण पहुंचे थे। करीब चार से पांच हजार की संख्या में आदिवासियों का हुजूम इस आंदोलन में शामिल है।
आदिवासी सुबह तीन बजे ही एनएमडीसी के चेकपोस्ट को घेरकर प्रदर्शन शुरू कर दिया था। ग्रामीणों के इस प्रदर्शन में कांग्रेस, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे, आम आदमी पार्टी, सीपीआई जैसे राजनीतिक दल के नेता भी समर्थन देने पहुंचे थे। सभी ने कहा कि नंदीराज पहाड़ उनका दैविक स्थल है। जहां पूरे संभाग के आदिवासी विशेष अवसरों पर एकत्र होकर पूजा- अनुष्ठान करते हैं। इस पहाड़ पर उत्खनन करना गलत है। यह उनके आस्था और भावनाओं के साथ सीधा खिलवाड़ है। जिसे आदिवासी समुदाय बर्दाश्त नहीं करेगा। आदिवासी समुदाय पहाड़ को लीज पर अडानी ग्रुप या एनएमडीसी को देने का ही नहीं बल्कि वहां उत्खनन का विरोध कर रहे हैं। इस आंदोलन में स्थानीय पंच-सरपंच के साथ कांग्रेस से दीपक कर्मा, समाजसेवी सोनी सोरी, आम आदमी पार्टी के बल्लू भवानी, सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष सुरेश कर्मा सहित कम्युनिष्ट पार्टी के पदाधिकारी और अन्य लोग पहुंचे हैं।
डिपाजिट-13 में 250 मिलियन टन लौह अयस्कजानकारी के मुताबिक अडानी ग्रुप ने सितंबर 2018 को बैलाडीला आयरन ओर माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड यानी बीआईओएमपीएल नाम की कंपनी बनाई। दिसंबर 2018 को केन्द्र सरकार ने इस कंपनी को बैलाडीला में खनन के लिए 25 साल के लिए लीज दे दी। बैलाडीला के डिपॉजिट 13 में 315.813 हेक्टेयर रकबे में लौह अयस्क खनन के लिए वन विभाग ने वर्ष 2015 में पर्यावरण क्लियरेंस दिया है। जिस पर एनएमडीसी और राज्य सरकार की सीएमडीसी को संयुक्त रूप से उत्खनन करना था।
इसके लिए राज्य व केंद्र सरकार के बीच हुए करार के तहत संयुक्त उपक्रम एनसीएल का गठन किया गया था, लेकिन बाद में इसे निजी कंपनी अडानी इंटरप्राइजेस लिमिटेड को 25 साल के लिए लीज हस्तांतरित कर दिया गया। डिपाजिट-13 के 315.813 हेक्टेयर रकबे में 250 मिलियन टन लौह अयस्क होने का पता सर्वे में लगा है। इस अयस्क में 65 से 70 फीसदी आयरन की मात्रा पायी जाती है।डिप्टी कलेक्टर व प्रभारी एसडीएम लिंगराज सिदार के मुताबिक डिपाजिट 13 में उत्खनन और लीज पर दिए जाने का मामला शासन स्तर का है। आंदोलनकारियों से धरना-प्रदर्शन समाप्त करने के लिए चर्चा की जा रही है। उम्मीद है जल्द ही सकारात्मक समाधान होगा। सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने जवानों की तैनाती के साथ ग्रामीण नेताओं से भी अपील की गई है। लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप