इशरत जहां केसः नरेंद्र मोदी और अमित शाह को फंसाने में घिरे चिदंबरम
संप्रग सरकार ने नरेंद्र मोदी की राह में कांटे बिछाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने के साथ-साथ अपने अधिकारियों को भी प्रताडि़त किया था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संप्रग सरकार ने नरेंद्र मोदी की राह में कांटे बिछाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने के साथ-साथ अपने अधिकारियों को भी प्रताडि़त किया था। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सिपहसालार अमित शाह को इशरत जहां मुठभेड़ में फंसाने की साजिश में पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम अब खुद फंसते जा रहे हैं।
खुफिया ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक राजेंद्र प्रसाद और पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई के बाद अब गृह मंत्रालय के पूर्व अवर सचिव आरवीएस मणि ने सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने इस मामले में झूठे बयान के लिए सीबीआइ पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाया है। मणि ने कहा कि इशरत का इनपुट देने वाले आइबी के विशेष निदेशक राजेंद्र कुमार व अन्य अधिकारियों को फंसाने के लिए 2013 में सीबीआइ ने उनसे पूछताछ शुरू की।
उन्होंने बताया कि इशरत मामले की जांच कर रहे सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी संतोष वर्मा ने उन्हें बुरी तरह प्रताडि़त किया था। आइबी के अधिकारियों के खिलाफ बयान देने के लिए तैयार नहीं होने पर उन्हें जलती सिगरेट से दागा गया। एक न्यूज चैनल को उन्होंने अपने वे कपड़े दिखाए, जो दागे जाने के दौरान जल गए थे।
दबाव में कराया हस्ताक्षर
गृह मंत्रालय में आंतरिक सुरक्षा के अवर सचिव मणि ने इशरत मामले में पहला हलफनामा दाखिल किया था। गुजरात हाई कोर्ट में 2009 में दायर इस हलफनामे में इशरत को आतंकी बताया गया था। दो महीने के भीतर ही इस हलफनामे को बदल दिया गया। मणि ने कहा कि दूसरे हलफनामे से वह सहमत नहीं थे। उन्हें राजनीतिक दबाव में इस पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। इससे पहले तत्कालीन गृह सचिव जीके पिल्लई ने दूसरे हलफनामे का फैसला राजनीतिक नेतृत्व के स्तर पर लिए जाने की बात कही थी। उनका इशारा तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम की ओर था।
आका के दबाव में सीबीआइ
-मणि ने कहा कि सीबीआइ इशरत जहां मामले में राजनीतिक आकाओं के इशारे पर खुद ही झूठे साक्ष्य पैदा कर रही थी।
-सीबीआइ की प्रताड़ना से भयभीत मणि ने उस समय वीआरएस के लिए आवेदन भी कर दिया था।
-सीबीआइ की जांच का सामना कर चुके राजेंद्र कुमार भी मोदी और अमित शाह को फंसाने के लिए दबाव होने का आरोप लगा चुके हैं।
-राजेंद्र कुमार के अनुसार, इशरत मामले में उन पर उच्च स्तर से दबाव बनाया गया था।
-दबाव में नहीं आने के लिए सीबीआइ ने उनके खिलाफ आरोपपत्र भी तैयार भी कर दिया।
-इसे अदालत में दाखिल करने के लिए गृह मंत्रालय से अनुमति मांगी गई। लेकिन राजग सरकार आने के बाद अनुमति नहीं मिली।
बढ़ सकती है चिदंबरम की मुश्किल
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एमएल शर्मा की जनहित याचिका से पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम की मुश्किल बढ़ सकती है। शर्मा ने पूर्व गृह मंत्री पर सुप्रीम कोर्ट और गुजरात हाई कोर्ट को झूठी जानकारी देने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ अवमानना का मामला शुरू करने का अनुरोध किया है। चिदंबरम पर इशरत के लश्कर से संबंधों के बारे में अदालत को गुमराह करने का आरोप लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार हो गया है।