'विकासशील देशों पर कार्बन टैक्स लगाना बेमानी', मुख्य आर्थिक सलाहकार बोले- भारत जैसे देशों का निर्यात होगा प्रभावित
भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन से मुकाबले के नाम पर विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों पर कार्बन टैक्स लगाना बेमानी है। यूरोपीय यूनियन ने कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबैम) के नाम पर वर्ष 2026 से कार्बन टैक्स लगाने का फैसला किया है। इससे यूरोप में भेजे जाने वाले स्टील सीमेंट व अन्य हाइड्रोकार्बन उत्पादों पर कार्बन टैक्स लगेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन से मुकाबले के नाम पर विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों पर कार्बन टैक्स लगाना बेमानी है। यूरोपीय यूनियन ने कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबैम) के नाम पर वर्ष 2026 से कार्बन टैक्स लगाने का फैसला किया है।
इससे यूरोप में भेजे जाने वाले स्टील, सीमेंट व अन्य हाइड्रोकार्बन उत्पादों पर कार्बन टैक्स लगेगा और भारत जैसे देशों का निर्यात प्रभावित होगा। इन आइटम के उत्पादन में होने वाले कार्बन उत्सर्जन का डाटा भी यूरोपीय यूनियन से साझा करना होगा।
विकासशील देश जलवायु परिवर्तन को रोकने के उपाय कर रहे
जलवायु वित्त (क्लाइमेट फाइनेंस) पर आयोजित एक वर्कशाप में गुरुवार को नागेश्वरन ने कहा कि विकासशील देश भी जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कई सारे उपाय कर रहे हैं और इससे विकसित देशों के लोग व उनकी संपदा को फायदा होगा, लेकिन विकासशील देशों के इन उपायों के बदले विकसित देश उन्हें क्या दे रहे हैं।
वैश्विक स्तर पर लगातार लोगों की जान का नुकसान
उन्होंने कहा कि जाहिर सी बात है कि विकसित देश विकासशील देशों के सीबैम के तहत कार्बन टैक्स नहीं देंगे। विकसित देशों को इसके बदले विकासशील देशों को कुछ बड़ा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से बचने के लिए सबसे अच्छा इंश्योरेंस लगातार आर्थिक विकास करना है। जलवायु परिवर्तन से वैश्विक स्तर पर लगातार लोगों की जान से लेकर उनकी संपदा, कारोबार का नुकसान हो रहा है।
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