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क्या यह आज ऐसे देश में स्वीकार्य है? CJI ने क्यों कहा- राष्ट्रीय स्तर की न्यायिक भर्ती के बारे में सोचें

Supreme Court सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने न्यायिक सेवाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर की भर्ती प्रक्रिया की वकालत की। उन्होंने कहा कि हमें इस तथ्य को बदलना चाहिए कि जिला स्तर पर हमारे न्यायालयों के बुनियादी ढांचे का केवल 6.7 प्रतिशत ही महिलाओं के अनुकूल है। साथ ही उन्होंने भर्ती कैलेंडर को मानकीकृत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 01 Sep 2024 11:45 PM (IST)
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चीफ जस्टिस ने न्यायिक सेवाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर की भर्ती की वकालत की। (File Image)

पीटीआई, नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने रविवार को न्यायिक सेवाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर की भर्ती प्रक्रिया की वकालत करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि हम "क्षेत्रवाद और राज्य-केंद्रित चयन की संकीर्ण दीवारों" से आगे बढ़ें।

भारत मंडपम में जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सम्मेलन में कहा कि हमें इस तथ्य को बदलना चाहिए कि जिला स्तर पर हमारे न्यायालयों के बुनियादी ढांचे का केवल 6.7 प्रतिशत ही महिलाओं के अनुकूल है।

'क्या देश में स्वीकार्य है?'

उन्होंने कहा कि क्या यह आज ऐसे देश में स्वीकार्य है, जहां कुछ राज्यों में भर्ती के बुनियादी स्तर पर 60 या 70 प्रतिशत से अधिक महिलाओं की भर्तियां होती हैं? चीफ जस्टिस ने कहा, 'हमारा ध्यान सुलभता के उपाय बढ़ाने पर है, जिन्हें बुनियादी ढांचे के ऑडिट करके समझा जा सकता है। अदालत में चिकित्सा सुविधाएं, क्रेच और ई-सेवा केंद्र व वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी तकनीकी परियोजनाएं खोलना, इन प्रयासों का उद्देश्य न्याय तक पहुंच बढ़ाना है।'

'जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन' के समापन समारोह में बोलते हुए सीजेआई का मानना ​​था कि लंबित मामलों की उच्च संख्या से निपटने के लिए कुशल कर्मियों को आकर्षित करना महत्वपूर्ण है और उन्होंने देश भर में भर्ती कैलेंडर को मानकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि रिक्तियों को समय पर भरा जाए।

मानक भर्ती प्रक्रिया पर दिया जोर

उन्होंने कहा, 'हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी अदालतें समाज के सभी सदस्यों, विशेष रूप से महिलाओं और अन्य कमजोर समूहों जैसे विकलांग व्यक्तियों, एससी-एसटी के सदस्यों और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के लोगों के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान करें।' जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि हाल में संपन्न पहली राष्ट्रीय लोक अदालत में पांच कार्य दिवसों में लगभग 1,000 मामलों का निपटारा सौहार्दपूर्ण ढंग से किया गया।

उन्होंने बताया कि इसके साथ ही केस मैनेजमेंट के जरिये लंबित मामलों को घटाने के लिए एक कुशल कार्ययोजना भी बनाई गई है। प्रधान न्यायाधीश ने एक मानक भर्ती प्रक्रिया पर जोर दिया जो क्षेत्रीय व राज्य-विशिष्ट पूर्वाग्रहों से परे हो और जो राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा दे एवं न्यायाधीशों का अधिक न्यायसंगत चयन सुनिश्चित करे।