विधि आयोग ने राजद्रोह कानून को बरकरार रखने की दी सलाह, कहा- मौजूदा हालात को देखते हुए इसे बनाए रखना जरूरी
Sedition Law राजद्रोह कानून को लेकर विधि आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि देश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस कानून को बरकरार रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका कनाडा ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी सहित कई देशों के पास अपने ऐसे कानून हैं। अध्यक्ष ने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम जैसे विशेष कानून है लेकिन वे राजद्रोह के अपराध को कवर नहीं करते।
By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Tue, 27 Jun 2023 05:49 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। राजद्रोह पर कानून को निरस्त करने की मांग के बीच, विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने मंगलवार को कहा कि कश्मीर से लेकर केरल और पंजाब से लेकर उत्तर-पूर्व तक की मौजूदा स्थिति के कारण देश की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए देशद्रोह कानून को बनाए रखना बहुत जरूरी हो गया है। पिछले साल मई में जारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद फिलहाल इसको निलंबित किया गया है।
राजद्रोह के मामलों को कवर नहीं करते देश के विशेष कानून
कानून को बरकरार रखने की पैनल की सिफारिश का बचाव करते हुए, विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने कहा कि इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रस्तावित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम जैसे विशेष कानून विभिन्न क्षेत्रों में लागू होते हैं, लेकिन राजद्रोह के अपराध को कवर नहीं करते हैं, इसलिए राजद्रोह पर विशिष्ट कानून भी होना चाहिए।
देश की मौजूदा स्थिति के कारण कानून को बरकरार रखना जरूरी
न्यायमूर्ति अवस्थी ने कहा कि राजद्रोह पर कानून पर विचार करते समय पैनल ने पाया कि कश्मीर से केरल और पंजाब से उत्तर-पूर्व तक वर्तमान में जो स्थिति है उसके लिए भारत की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए राजद्रोह पर कानून आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि राजद्रोह कानून औपनिवेशिक विरासत होने के कारण इसे निरस्त करने का वैध आधार नहीं है और अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी सहित कई देशों के पास अपने ऐसे कानून हैं।पिछले महीने सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में, न्यायमूर्ति अवस्थी की अध्यक्षता वाले 22वें विधि आयोग ने इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों के साथ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124ए को बनाए रखने का समर्थन किया था।
कानून को बरकरार रखने की मांग पर विपक्ष का हमला
इस सिफारिश से राजनीतिक हंगामा मच गया और कई विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल के खिलाफ असहमति और आवाज को दबाने के लिए इसे बरकरार रखने की सिफारिश की जा रही है। जबकि सरकार ने कहा कि वह सभी हितधारकों से परामर्श करने के बाद विधि आयोग की रिपोर्ट पर तर्कसंगत निर्णय लेगी। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार राजद्रोह कानून को और अधिक सख्त बनाना चाहती है।अध्यक्ष ने सुरक्षा उपायों का किया उल्लेख
आयोग द्वारा प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का उल्लेख करते हुए, अवस्थी ने बताया कि प्रारंभिक जांच निरीक्षक या उससे ऊपर के रैंक के एक पुलिस अधिकारी द्वारा की जाएगी और घटना घटित होने के सात दिनों के भीतर जांच की जाएगी। यदि मामले में सक्षम सरकारी प्राधिकारी को राजद्रोह के अपराध के संबंध में कोई ठोस सबूत मिल जाते हैं, तो धारा 124 ए के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी।