Acharya Satyendra Das: रामलला ने रामभक्तों के साथ न्याय किया है, सत्य की पुष्टि भी हो रही है
आचार्य सत्येंद्रदास मुख्य अर्चक के रूप में रामलला के सर्वाधिक निकट के अनुभव से गुजरने वाले व्यक्ति हैं। वह 32 वर्षों से रामलला के प्रधान अर्चक की भूमिका में हैं। जब उन्होंने पूजा का दायित्व संभाला उस समय रामलला विवादित भवन में विराजमान थे। छह दिसंबर 1992 को ढांचा घ्वस्त होने के बाद के 27 वर्ष तक वह तिरपाल के मंदिर में रामलला की पूजा करते रहे।
आचार्य सत्येंद्रदास मुख्य अर्चक के रूप में रामलला के सर्वाधिक निकट के अनुभव से गुजरने वाले व्यक्ति हैं। वह 32 वर्षों से रामलला के प्रधान अर्चक की भूमिका में हैं। जब उन्होंने पूजा का दायित्व संभाला उस समय रामलला विवादित भवन में विराजमान थे। छह दिसंबर 1992 को ढांचा घ्वस्त होने के बाद के 27 वर्ष तक वह तिरपाल के मंदिर में रामलला की पूजा करते रहे।
मंदिर निर्माण की प्रक्रिया के चलते वह गत चार वर्ष से वैकल्पिक गर्भगृह में भी रामलला की पूजा करते रहे। आज जब रामलला 496 वर्ष बाद अर्चावतार के साथ भव्य मंदिर में विराजमान हुए हैं, तब भी वह रामलला के प्रधान अर्चक की भूमिका में हैं।
रामलला के पूजन-अर्चन की सुदीर्घ यात्रा के साथ वह रामलला के भव्य मंदिर में विराजने तक के घटानाक्रम को लेकर क्या सोचते हैं, इस बारे में हमारे संवाददाता रमाशरण अवस्थी ने बात की, जो इस प्रकार है-
कैसा लग रहा है, भव्य मंदिर में रामलला की पूजा करते हुए?
बहुत ही अच्छा लग रहा है। स्वयं के मंदिर निर्माण की संभावना प्रशस्त कर रामलला ने वस्तुत: भक्तों से न्याय किया है। रामलला तो परात्पर ब्रह्म हैं। उनके भृकुटि-विलास से सृष्टि और संहार होता है। मंदिर तोड़ा जाना और उसके लिए सुदीर्घ संघर्ष तो भक्तों की समस्या थी और रामलला की ही प्रेरणा से इस समस्या का समाधान हुआ। ऐसे में भक्त के रूप में आज रामलला के प्रति मैं कहीं अधिक कृतज्ञता से भरा था।
प्राण प्रतिष्ठा के दूसरे दिन ही भक्तों की इतनी भीड़ हो गई, जो संभाले नहीं संभल रही थी। इस बारे में क्या कहना है?
- यह उन लोगों को उत्तर है, जो श्रीराम की ऐतिहासिकता से लेकर राम मंदिर की मुक्ति और निर्माण की संभावनाओं पर सवाल उठाते रहे हैं। इससे श्रीराम की व्यापक स्वीकार्यता सिद्ध होने के साथ श्रीराम के सबसे बड़े नायक होने के सत्य की पुष्टि भी हो रही है।राम भक्तों का अपेक्षा से कई गुणा अधिक का आगमन व्यवस्थागत संकट भी खड़ा करने वाला है। इस बारे में क्या कहना है?
रामभक्त संयम बरतें। कुछ दिन प्रतीक्षा करें। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, मुख्यमंत्री और प्रशासन के निवेदन-निर्देश का अनुपालन करें।