Move to Jagran APP

चिकनगुनिया के टीके के विकास की ओर बढ़े कदम, शोधकर्ताओं ने चूहों पर किया अध्ययन; इंसानों पर परीक्षण बाकी

शोधकर्ताओं ने चिकनगुनिया के टीके के विकास की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। शोध के मुताबिक चिकनगुनिया वायरस की अदृश्यता ढाल से टीके का विकास या उपचार संभव है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि चिकनगुनिया बुखार के लिए जिम्मेदार वायरस सीधे कोशिका से कोशिका में फैल सकता है। इस प्रगति से आम मच्छर जनित बीमारी के लिए टीका या उपचार विकसित करने में सहायता मिल सकती है।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Fri, 18 Aug 2023 10:52 PM (IST)
Hero Image
शोधकर्ताओं ने चिकनगुनिया के टीके के विकास की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। फाइल फोटो।
नई दिल्ली, पीटीआई। शोधकर्ताओं ने चिकनगुनिया के टीके के विकास की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। शोध के मुताबिक, चिकनगुनिया वायरस की 'अदृश्यता ढाल' से टीके का विकास या उपचार संभव है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि चिकनगुनिया बुखार के लिए जिम्मेदार वायरस सीधे कोशिका से कोशिका में फैल सकता है। इस प्रगति से आम मच्छर जनित बीमारी के लिए टीका या उपचार विकसित करने में सहायता मिल सकती है।

नेचर माइक्रोबायोलाजी जर्नल में प्रकाशित निष्कर्ष संभवत: लंबे समय से चले आ रहे इस रहस्य को सुलझा सकते हैं कि गंभीर खतरे के रूप में उभर रहा वायरस कैसे रक्तप्रवाह में घूम रहे एंटीबाडी से बचने का प्रबंधन कर सकता है।

अध्ययन के लेखक ने क्या कहा?

अमेरिका के अल्बर्ट इंस्टीन कालेज आफ मेडिसिन में प्रोफेसर व अध्ययन के लेखक मार्गरेट किलियन ने कहा कि इससे पहले माना जता था कि चिकनगुनिया वायरस एक कोशिका को संक्रमित कर उसके भीतर अपनी प्रतिकृति बनाकर शरीर में फैलता है। इसके बाद रक्त प्रवाह में वायरस की नई प्रतियां भेजता है जो फिर नई कोशिका को संक्रमित करती है।

कोशिकाओं का आकार बनाए रखने में मदद करता है वायरस

किलियन ने कहा कि लेकिन हमने पाया कि वायरस एक मेजबान कोशिका के साइटोस्केलेटन को भी हाईजैक कर सकता है। यह एक प्रोटीन है जो कोशिकाओं का आकार बनाए रखने में मदद करता है।

ऐसे फैलता है संक्रमण

वायरस संक्रमित कोशिका को एक एक्सटेंशन भेजने का कारण बनता है, जो असंक्रमित पड़ोसी कोशिकाओं के साथ संपर्क बनाते हैं। इससे वायरस एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक सुरक्षित और आसानी से पहुंच जाता है। शोधकर्ताओं ने वायरसयुक्त इस संरचना को इंटरसेलुलर लांग एक्सटेंशंस (आइएलईएस) नाम दिया है। इस तरह शोधकर्ताओं ने पाया कि आइएलईएस चिकनगुनिया वायरस के लिए एक ढाल का काम करता है। उन्होंने कहा, कोशिका से कोशिका के बीच संक्रमण उच्च मात्रा में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबाडीज की उपस्थिति में भी हुआ।

चूहों पर संक्रमण प्रक्रिया का किया अध्ययन

शोधकर्ताओं ने चूहों में चिकनगुनिया संक्रमण का अध्ययन किया। जिन चूहों को पहले निष्कि्रय करने वाले एंटीबाडी का टीका लगाया गया और फिर सीधे चिकनगुनिया वायरस का इंजेक्शन लगाया गया, वे संक्रमित नहीं हुए। किलियन ने कहा, ''अगर हम मानव रोगियों में ऐसे एंटीबाडी का उत्पादन उत्पन्न कर सकते हैं, या आइएलईएस गठन को रोकने के लिए अन्य तरीकों का विकास कर सकते हैं, तो यह चिकनगुनिया संक्रमण के पुराने लक्षणों से निपटने में विशेष रूप से सहायक हो सकता है।