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Chang'e-6 Mission: 'ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे', अब स्पेस में चीन का सहारा लेगा पाक; ये है ड्रैगन का मून मिशन

पाक ने अपने पड़ोसी मुल्क और सहयोगी देश चीन के साथ मिलकर अपना मून मिशन लॉन्च करने की योजना बनाई है। चीन की स्पेस एजेंसी की ओर से दी गई है कि अगले साल चीन अपना मून मिशन लॉन्च करने वाला है। चीन नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के हवाले से बताया कि Change-6 मून मिशन अभी रिसर्च और डेवलपमेंट के फेज में है

By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariUpdated: Tue, 03 Oct 2023 02:08 PM (IST)
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चांद पर पाकिस्तान के पेलोड ले जाएगा चीन

ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। Chang'e-6 Mission: भारत के चंद्रयान-3 (Chandrayaan3) मिशन की सफलता के बाद दुनिया के कोने-कोने में भारतीय स्पेस एजेंसी 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (ISRO) की तारीफ की जा रही है। पाक भी भारत की इस कामयाबी की सराहना किए बिना नहीं रह पाया, लेकिन इसी बीच पाक ने स्पेस में पहुंचने की तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल, पाक ने अपने पड़ोसी मुल्क और सहयोगी देश चीन के साथ मिलकर अपना मून मिशन लॉन्च करने की योजना बनाई है।

अगले साल लॉन्च होगा चीन का मून मिशन

इस बात की जानकारी चीन की स्पेस एजेंसी की ओर से दी गई है कि अगले साल चीन अपना मून मिशन लॉन्च करने वाला है। चीन की सरकारी न्‍यूज एजेंसी 'शिन्हुआ' ने चीन नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनएसए) के हवाले से बताया कि चांग ई-6 (Chang'e-6) मून मिशन अभी रिसर्च और डेवलपमेंट के फेज में है। मिशन का लक्ष्य चंद्र नमूनों को एकत्र करने के लिए दक्षिणी ध्रुव के एटकेन बेसिन पर उतरना है।

अब लोगों के मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर चीन के स्पेस मिशन में पाकिस्तान का क्या रोल है और कंगाल हो चुके पाकिस्तान ने स्पेस मिशन के लिए कैसे सहयोग दिया है।

चीन के मून मिशन में पाकिस्तान की भूमिका?

आपको बता दें, 2024 में चीन का लॉन्च होने वाला मिशन, पाकिस्तान से पेलोड ले जाएगा। चांग'ई-6 मिशन में पाकिस्तान का योगदान एक लघु उपग्रह (Miniature Satellite) या क्यूबसैट होगा। क्यूबसैट का इस्तेमाल चांद के पर्यावरण का अध्ययन करने और नई प्रौद्योगिकियों का परीक्षण करने के लिए किया जाएगा।

यह भी पढ़ें: China Chang E-6 Mission: चांद पर भी चीन का सहारा, पाकिस्तान का पेलोड लेकर जाएगा चांग ई-6 मिशन

चीन के नेतृत्व वाले बेस में शामिल होने की चाह

चांग'ई-6 मिशन (Chang'e-6 Mission) में पाकिस्तान की भागीदारी इस बात की गवाह है कि पाक की भी अंतरिक्ष में दिलचस्पी बढ़ रही है। इस साल की शुरुआत में भी पाकिस्तान ने पर्यावरण की दृष्टि से सहिष्णु बीजों पर शोध के लिए चीनी अंतरिक्ष स्टेशन, तियांगोंग को कुछ बीज भेजे थे। कहा जा सकता है कि पाकिस्तान, तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चीन के नेतृत्व वाले बेस में शामिल होने की संभावना भी तलाश रहा है।

कई देशों की पेलोड ले जाएगा चीन का मून मिशन

चीन अपने चांग'ई-6 मिशन में पाकिस्तान के अलावा फ्रांस, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और इटली सहित अन्य देशों से भी पेलोड ले जाएगा। यह मिशन विभिन्न देशों के पेलोड को ले जाएगा। इनमें फ्रांस का डोर्न रेडान डिटेक्शन उपकरण, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का नेगेटिव आयन डिटेक्टर, इटली का लेजर रेट्रो रिफ्लेक्टिव और पाकिस्तान का क्यूबसैट शामिल है। क्यूबसैट पाकिस्तान का एक छोटा उपग्रह है।

'पाक और चीन के मजबूत रिश्ते का सबूत ये मून मिशन'

पाकिस्तान अंतरिक्ष और ऊपरी वायुमंडल अनुसंधान आयोग (SUPARCO) के अध्यक्ष मेजर जनरल आमेर नदीम ने कहा, "चांग'ई-6 मिशन में पाकिस्तानी क्यूबसैट को शामिल करना, स्पेस सेक्टर में चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सहयोग का एक प्रमाण है।"

(SUPARCO) के महानिदेशक ब्रिगेडियर जनरल मुहम्मद आरिफ ने कहा, "चांग'ई-6 मिशन पाकिस्तान के लिए चंद्र अन्वेषण में योगदान देने और नई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों को विकसित करने का एक महत्वपूर्ण और बेहतरीन मौका है।"

चीन राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (CNSA) के उप प्रशासक वू यानहुआ ने कहा, "चीन और पाकिस्तान करीबी सहयोगी हैं और अंतरिक्ष में हमारा सहयोग हमारे मजबूत संबंधों का प्रतिबिंब है।"

मून मिशन का पाक पर क्या पड़ेगा असर?

चीन के चांग-6 मिशन (Chang'e-6 mission) में पाकिस्तान की भागीदारी देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। पहली बार पाकिस्तान चांद पर कोई अंतरिक्ष यान भेजेगा। यह मिशन पाकिस्तान को चंद्र अन्वेषण और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी विकास में बेहतरीन अनुभव देगा। माना जा सकता है कि इस मिशन के जरिए पाकिस्तान का चीन और इस मिशन में शामिल अन्य देशों के साथ सहयोग और संबंध मजबूत होगा।

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चांग'ई-6 मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में भी एक अहम पहल है। दरअसल, पहली बार चीन ने किसी चंद्र मिशन में अन्य देशों का सहयोग लिया है। इस मिशन से चंद्रमा के बारे में नए वैज्ञानिक ज्ञान उत्पन्न होने और नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में मदद मिलने की उम्मीद है, जिनका इस्तेमाल भविष्य के कई अन्य अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों के लिए किया जा सकता है।