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भारत के लिए भी चिंताजनक है चीन की आर्थिक कमजोरी, मेक इन इंडिया कार्यक्रम पर देना होगा जोर

चीन भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है जबकि चौथा सबसे बड़ा आयातक है। दोनो देशों का द्विपक्षीय कारोबार वर्ष 2022-23 में 115 अरब डॉलर का रहा था। जानकारों का मानना है कि चीन की मौजूदा स्थिति भारतीय इकोनॉमी के लिए चुनौतियां पैदा करेंगी तो साथ ही कुछ संभावनाओं के द्वार भी खोलेगी। भारत के नीति निर्धारकों को पूरे हालात पर नजर रखना चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Thu, 24 Aug 2023 08:26 PM (IST)
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चीन की इकोनॉमी में कमजोरी के संकेत। (फोटो- जागरण ग्रफिक्स)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हाल के दिनों में चीन की इकोनॉमी में कमजोरी आने को लेकर कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की रिपोर्टें सामने आई है। कुछ एजेंसियो ने तो यहां तक कहा है कि पिछले चार दशक से विकास की जिस राह पर चीन आगे बढ़ रहा था अब उसके अवसान का समय आ गया है।

चीनी अर्थव्यवस्था में गिरावट के कई कारण

वजहें कई बताई जा रही हैं जैसे चीन की क्रियाशील कामगारों की आबादी का कम होना, जरूरत से ज्यादा रीयल एस्टेट में निवेश का होना जिसको बना कर रखना अब मुश्किल है, वैश्विक स्तर पर चीन के खिलाफ एक माहौल का बनना आदि। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि चीन की इकोनॉमी में गिरावट का भारत पर कोई असर होगा या नहीं।

भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है चीन

चीन भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है, जबकि चौथा सबसे बड़ा आयातक है। दोनो देशों का द्विपक्षीय कारोबार वर्ष 2022-23 में 115 अरब डॉलर का रहा था। जानकारों का मानना है कि चीन की मौजूदा स्थिति भारतीय इकोनॉमी के लिए चुनौतियां पैदा करेंगी तो साथ ही कुछ संभावनाओं के द्वार भी खोलेगी। भारत के नीति निर्धारकों को पूरे हालात पर नजर रखना चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर शोध करने वाली एजेंसी जीटीआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन उत्पादों की आपूर्ति के लिए भारत चीन से आयात पर सबसे ज्यादा निर्भर है उसको लेकर ज्यादा चुनौती पैदा सकती है। भारत चीन से 49 अरब डॉलर का पूंजीगत सामान व मशीनरी का निर्यात पिछले वर्ष किया है।

कई वस्तुओं के आयात हो सकते हैं प्रभावित

इसमें क्रेन्स, पंप्स, आईसी इंजन और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। चीन से इनका आयात प्रभावित होने पर काफी मुश्किल पैदा हो सकती है। ऐसे में मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत औद्योगिक उत्पादन को लेकर आत्मनिर्भर बनने की प्रक्रिया और तेज होनी चाहिए। इसी तरह से 37 फीसद आयात हम चीन से इंटरमीडियरी उत्पादों का करते हैं।

इसमें ऑर्गेनिक केमिक्लस, प्लास्टिक के कच्चे माल, दवाइयों के कच्चे माल, यार्न और फैब्रिक्स, लौह-अयस्क उत्पाद, कागज, पेंट, कृषि रसायन जैसे उत्पाद हैं। भारत इनका आयात करता है फिर इनसे तैयार उत्पाद करके उनका उपभोग करता है या फिर निर्यात करता है।

जाहिर है कि चीन स्थित इन उद्योगों पर पड़ने वाले असर से भारत के प्रभावित होने का खतरा है।

चीन पर निर्भरता खत्म करने की जरूरत

कुछ जानकार बता रहे हैं कि कोरोना के बाद जिस तरह से कई देश चीनी आयात पर अपनी निर्भरता खत्म करने के लिए प्रयासरत हैं, उसकी गति और तेज हो सकती है। इन देशों व कंपनियों के लिए भारत आपूर्ति के लिए या निवेश के लिए एक बेहतर विकल्प के तौर पर और मजबूत हो कर स्थापित होगा। यह भारत के लिए अवसर है जिसका फायदा उठाने के लिए सरकार को नीतिगत मदद देनी चाहिए।

वैसे चीन, भारत के लिए चौथा सबसे बड़ा आयातक भी है। अमेरिका, यूएई व नीदरलैंड के बाद वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने चीन को सबसे ज्यादा 15.3 अरब डॉलर का निर्यात किया है। हालांकि, पिछले पांच वर्षों में चीन की हिस्सेदारी भारतीय निर्यात में 4.4 फीसद से घट कर 3.4 फीसद हो गया है। वर्ष 2022-23 में दोनो देशों का व्यापार घाटा 82 अरब डॉलर चीन के पक्ष में रहा है।