4 साल बाद आई अक्ल! सीमा विवाद चीन को पड़ा बहुत भारी; भारत के इन कदमों से परेशान हो उठे थे जिनपिंग
India China Border Dispute चार साल बाद भारत और चीन के बीच सीमा पर गतिरोध खत्म होने की उम्मीद है। ब्रिक्स सम्मलेन से पहले कुछ सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। 22 और 23 अक्टूबर को रूस के कजान शहर में ब्रिक्स सम्मेलन है। पीएम मोदी इसमें हिस्सा लेंगे। माना जा रहा है कि यहां शी जिनपिंग और पीएम मोदी मुलाकात कर सकते हैं।
जागरण, नई दिल्ली। सीमा विवाद सुलझाने पर भारत और चीन के बीच सहमति बनते दिख रही है। पूर्वी लद्दाख में मई 2020 से दोनों देशों के बीच गतिरोध जारी है। मगर ब्रिक्स सम्मलेन से पहले विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि दोनों देश सहमति के करीब है। अगर ऐसा हुआ तो मई 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल की जाएगी।
भारत और चीन के बीच पेट्रोलिंग की व्यवस्था को लेकर बनी सहमति को 2020 में पूर्वी लद्दाख में उत्पन्न हुए तनाव के समाधान के रूप में देखा जा रहा है। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक बलिदान हुए थे। वहीं बड़ी संख्या में चीनी सैनिक मारे गए थे। इस घटना के बाद से भारत ने चीन के विरुद्ध कई कड़े कदम उठाए। आइए डालते हैं उन पर एक नजर...
- सीधी उड़ानों पर प्रतिबंध: दोनों देशों के बीच चार साल से कोई सीधी उड़ान नहीं है। चीन भारत पर सीधी यात्री उड़ानें फिर से शुरू करने के लिए दबाव डालता रहा है।
- सख्त वीजा नियम: सीमा पर झड़पों के मद्देनजर भारत ने चीनी नागरिकों के वीजा आवेदनों की जांच बढ़ा दी थी। सख्त वीजा नियमों का मतलब था कि चीन के विशेष इंजीनियर देश में प्रवेश नहीं कर सकते थे।
- चीनी निवेश पर शिकंजा: 2020 में भारत ने पड़ोसी देशों में स्थित कंपनियों के निवेश की जांच प्रक्रिया में पुनरीक्षण और सुरक्षा मंजूरी की एक अतिरिक्त परत जोड़कर इसे और सख्त बना दिया था। इसे चीनी कंपनियों द्वारा अधिग्रहण और निवेश को रोकने के कदम के रूप में देखा गया था। इसके कारण पिछले चार वर्षों में चीन द्वारा प्रस्तावित अरबों डालर के निवेश की अनुमोदन प्रक्रिया अटक गई।
- मोबाइल एप्स पर बैन: डाटा और गोपनीयता के मुद्दों का हवाला देते हुए, भारत ने लगभग 300 चीनी मोबाइल एप्स पर बैन लगा दिया था। इसके अलावा भारत ने पिछले साल चीनी स्मार्टफोन कंपनी वीवो कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी पर वीजा नियमों का उल्लंघन करने और 13 अरब डॉलर की धनराशि की हेराफेरी का आरोप लगाया था। वहीं विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून के उल्लंघन की जांच करते हुए चीनी कंपनी शाओमी की 60 करोड़ डालर से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली गई थी।