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Arunachal Pradesh: अब चीनी सेना ने अरुणाचल को बताया चीन का अभिन्न भाग, भारत ने बताया बेतुका कृत्य

अरुणाचल प्रदेश के संबंध में अब चीन की सेना के बिगड़े बोल सामने आए हैं।उसने अरुणाचल प्रदेश को चीन का परंपरागत (अभिन्न) हिस्सा बताया है। चीनी सेना की यह प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर चीन की आपत्ति को नकार दिए जाने के बाद आई है। प्रधानमंत्री मोदी इसी महीने चीन की सीमा तक जाने वाली सेला टनल के उद्घाटन के लिए अरुणाचल प्रदेश गए थे।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Sun, 17 Mar 2024 11:45 PM (IST)
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अब चीनी सेना ने अरुणाचल को बताया चीन का अभिन्न भाग। फाइल फोटो।
पीटीआई, बीजिंग। अरुणाचल प्रदेश के संबंध में अब चीन की सेना के बिगड़े बोल सामने आए हैं। उसने अरुणाचल प्रदेश को चीन का परंपरागत (अभिन्न) हिस्सा बताया है। चीनी सेना की यह प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर चीन की आपत्ति को नकार दिए जाने के बाद आई है। प्रधानमंत्री मोदी इसी महीने चीन की सीमा तक जाने वाली सेला टनल के उद्घाटन के लिए अरुणाचल प्रदेश गए थे।

चीनी रक्षा मंत्रालय के बिगड़े बोल

चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सीनियर कर्नल झांग शियाओगांग ने कहा कि शिजांग (तिब्बत का चीनी नाम) का दक्षिणी भाग चीन का परंपरागत हिस्सा है। बीजिंग इस तथ्य को कभी नहीं भूल सकता है और अरुणाचल प्रदेश का नाम देकर उस भूभाग पर किए जा रहे कार्यों का कड़ा विरोध करता है। प्रवक्ता ने यह बात सेला टनल और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक भारत द्वारा आधारभूत ढांचा विकसित किए जाने की बाबत कही है।

भारत ने बताया बेतुका कृत्य

भारत सरकार के किसी प्रमुख व्यक्ति या अन्य प्रभावशाली व्यक्ति के अरुणाचल प्रदेश जाने और वहां की हर बड़ी परियोजना का चीन ने विरोध करने की आदत बना ली है। अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों का चीन ने मंदारिन भाषा में नामकरण भी कर रखा है। लेकिन भारत हमेशा से चीन के दावे को खारिज करता रहा है और चीन द्वारा किए गए नामकरण को भी बेतुका कृत्य बताया है।

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अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा

भारत ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है। प्रधानमंत्री मोदी नौ मार्च को अरुणाचल प्रदेश गए थे और वहां पर उन्होंने 825 करोड़ रुपये की लागत से बनी सेला टनल का उद्घाटन किया था। रणनीतिक रूप से अति महत्वपूर्ण इस टनल के जरिये पूरे वर्ष भर एलएसी तक आवागमन जारी रहेगा। यह विश्व की सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बनी कृत्रिम सुरंग है।

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