Loan App Scam: भारत में मिला Loan App का Chinese कनेक्शन, हजारों करोड़ का है मामला
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच किए जा रहे लोन एप घोटाले के मामले में हाल ही में भुवनेश्वर पुलिस ने भी उसके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया है। अधिकारियों का मानना है कि यह पूरा घोटाला हजारों करोड़ का है और 2019 से अब तक लाखों भारतीयों को ठगा गया।
By Piyush KumarEdited By: Updated: Thu, 28 Jul 2022 09:36 PM (IST)
फैजल खान । मुंबई साइबर सेल ने चीन के दो नागरिकों के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया। बता दें कि संदेह जताया जा रहा है कि दोनों लोगों ने भारत में लोन एप के जरिए घोटाला किया है। पिछले दो महीनों से मुंबई साइबर सेल इस मामले की जांच- पड़ताल कर रहे हैं। जांच में पता चला कि लियू यी की निगरानी में भारत में यह पूरा कारोबार साल 2018 में शुरू किया गया। बता दें कि लियू यी मनी लान्ड्रिंग फरार हैं। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जांच किए जा रहे लोन एप घोटाले के मामले में हाल ही में भुवनेश्वर पुलिस ने भी उसके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया है। अधिकारियों का मानना है कि यह पूरा घोटाला हजारों करोड़ का है और 2019 से अब तक लाखों भारतीयों को ठगा गया है।
भारतीय नागरिकों के साथ मिलकर एक नेटवर्क तैयार किया गया
बता दें कि साइबर विशेषज्ञों की विशेष टीम ने 2019 से भारत में संचालित किए जा रहे पूरे घोटाले का खुलासा किया है। अधिकारियों ने अब तक देश के विभिन्न हिस्सों से मामले में 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। सूत्रों के अनुसार, लियू यी की निगरानी में चीनी नागरिकों का एक समूह 2018 में भारत आया और भारतीय नागरिकों के साथ मिलकर एक पूरा नेटवर्क स्थापित किया। चीनी नागरिकों की पहले से ही भारत में कंपनियां थीं और अवैध डिजिटल उधार व्यवसाय शुरू कर चुके थे।
अधिकारियों ने ज्यादा खुलासा नहीं किया है क्योंकि मुंबई पुलिस के वरिष्ठतम अधिकारी पूरे लोन एप घोटाले का खुलासा करने के लिए आज एक प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित कर सकते हैं। हालांकि, सूत्रों ने मिड-डे को बताया है कि 200 से अधिक ऐप्स की विस्तृत जांच में उन्हें दो चीनी नागरिकों को पता चला है, जिनमें से एक की पहचान लियू यी और यी की एक महिला सहयोगी के रूप में हुई है। अधिकारियों ने दोनों के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया है। सूत्रों की माने तो दोनों 2018 में चीनी नागरिकों की एक बड़ी टीम के साथ भारत आए थे और 2020 में महामारी से पहले इन लोगों ने भारत छोड़ दिया था।
भारतीय नागरिकों को दी गई नौकरियां
सूत्रों ने मिड-डे को यह भी बताया है कि भारत आने से पहले उन्होंने कई लोन ऐप बनाए और इसे अपलोड किया। चीनी नागरिकों ने भारत में कोई काल सेंटर स्थापित नहीं किया, लेकिन उन्होंने भारतीय नागरिकों को अलग-अलग नौकरियां दीं, कुछ को पर्यवेक्षकों को काम पर रखने का काम दिया गया, जो वसूली के उद्देश्य से काल करते थे और कुछ लोगों को तस्वीरों को मार्फ करने के लिए काम पर रखा गया था।
बता दें कि आरबीआई ने इस कर्ज लोन घोटाले पर गौर किया और दिसंबर 2020 में डिजिटल लेंडिंग को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए। अधिकारियों को यह भी पता चला कि इसी अवधि के दौरान घोटाले के सरगनाओं ने नेपाल में निवेश करना शुरू कर दिया और भारतीय नागरिकों को आसान लोन प्रदान करने के लिए अवैध काल सेंटर खोले, इनमें से कुछ काल सेंटरों का पिछले सप्ताह नेपाल पुलिस ने काठमांडू और रूपनदेही शहर में भंडाफोड़ किया था।
मुंबई साइबर पुलिस कर रही है अबतक जांच
दो महीने की विस्तृत जांच के दौरान साइबर ने देश के विभिन्न हिस्सों से कम से कम 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से एक को नैनीताल, उत्तराखंड से गिरफ्तार किया गया है, जिसकी पहचान प्रियांशी कांडपाल (24) के रूप में हुई है, जो मुंबई साइबर मामले में मुख्य आरोपी बताया गया है, जो मुंबई में पाया गया था।गौरतलब है कि सूत्रों के मुताबिक, मुंबई साइबर की अब तक चल रही जांच से पता चला है कि यह घोटाला हजारों करोड़ का है, अधिकारी अनुमानित आंकड़ा नहीं दे पा रहे हैं क्योंकि उनके द्वारा ट्रेस किए गए लेन-देन की संख्या लाखों में है।