G20 समिट से दूरी बनाएंगे राष्ट्रपति शी चिनफिंग, दिल्ली न आने का ये है कारण; अब चीन का प्रतिनिधित्व कौन करेगा?
G20 summit in Delhi भारत और चीन के कुछ सूत्रों ने जानकारी दी है कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग अगले सप्ताह भारत में आयोजित होने वाले G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से दूरी बना सकते हैं। चीन स्थित एक भारतीय राजनयिक और G20 में सरकार के लिए काम करने वाले एक अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री ली कियांग बैठक में बीजिंग का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।
By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Thu, 31 Aug 2023 11:39 AM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। G20 समिट से चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग किनारा कर सकते हैं और इनकी जगह समिट में चीन का प्रतिनिधित्व प्रीमियर ली कियांग करेंगे। इस बात की जानकारी सूत्रों के हवाले से दी गई है।
समिट से करेंगे किनारा
भारत और चीन में मामले से परिचित सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग अगले सप्ताह भारत में G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से खुद को दूर सकते हैं। चीन स्थित एक भारतीय राजनयिक और G20 देश की सरकार के लिए काम करने वाले एक अधिकारी ने कहा कि 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले G20 समिट में प्रधानमंत्री ली कियांग बीजिंग का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात की थी उम्मीद
भारतीय और चीनी विदेश मंत्रालयों के प्रवक्ताओं ने इस बात पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं दी है। उम्मीद की जा रही थी कि भारत में आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन में शी की मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से होगी। शी ने आखिरी बार बाइडन से पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में आयोजित हुए G20 शिखर सम्मेलन के मौके पर मुलाकात की थी।रूस के विदेश मंत्री होंगे शामिल
वहीं, दूसरी ओर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले ही इस समिट में शामिल न होने की घोषणा कर चुके हैं। इस बैठक में उनकी जगह विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव शामिल होंगे।
स्पष्ट कारणों का नहीं लगा पता
चीन के सूत्रों की मानें तो उन्हें चीनी अधिकारियों की ओर से सूचित किया गया था कि उन्हें अब तक इस बात की स्पष्ट जानकारी नहीं है कि आखिर शी इस बैठक से किनारा क्यों कर रहे हैं।कई मंत्रिस्तरीय बैठक रहे विवादास्पद
शिखर सम्मेलन से पहले भारत में कई G20 मंत्रिस्तरीय बैठकें आयोजित हुई, जो काफी विवादास्पद रही हैं। दरअसल, इन बैठकों में रूस और चीन के संयुक्त बयानों का विरोध किया गया था।