Exclusive: 'मानवाधिकारों को लेकर बहुत सजग हैं नागरिक', जस्टिस अरुण मिश्रा बोले- पहले रोज आती थीं 400 शिकायतें
मानवाधिकारों को लेकर लोगों में जागरूकता कितनी बढ़ रही है इसका पता इसी से चलता है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में रोजाना करीब 400 शिकायतें आती हैं। किसी को पेंशन नहीं मिल रही तो किसी का ठीक इलाज नहीं हो रहा ऐसे मुद्दे हैं जिस पर पूरी दुनिया संजीदा है और इन्हीं मुद्दों पर चर्चा के लिए दिल्ली में 20-21 सितंबर को दो दिवसीय द्विवार्षिक सम्मेलन होने वाला है।
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Fri, 15 Sep 2023 11:36 PM (IST)
नई दिल्ली, माला दीक्षित। मानवाधिकारों को लेकर लोगों में जागरूकता कितनी बढ़ रही है इसका पता इसी से चलता है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में रोजाना करीब 400 शिकायतें आती हैं। किसी को पेंशन नहीं मिल रही तो किसी का ठीक इलाज नहीं हो रहा, किसी को प्रधानमंत्री आवास योजना में मकान नहीं मिल रहा तो किसी की शिकायत है कि पुलिस ने उसकी रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं की, मतलब समस्याएं अलग-अलग और शिकायत का ठिकाना एक। लोग उम्मीद लेकर पहुंचते हैं कि अगर पुलिस नहीं सुनेगी, प्रशासन नहीं सुनेगा तो यहां बात सुनी जाएगी। देश और दुनिया में मानवाधिकार के प्रति संवेदनशीलता बढ़ी है।
पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिर्वतन, बढ़ता प्रदूषण और खतरनाक कचरा ऐसे मुद्दे हैं जिस पर पूरी दुनिया संजीदा है और इन्हीं मुद्दों पर चर्चा के लिए दिल्ली में 20-21 सितंबर को दो दिवसीय द्विवार्षिक सम्मेलन होने वाला है जिसमें दुनिया भर के मानवाधिकार संगठन हिस्सा लेंगे।कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कर रहा है। इसे देखते हुए मानवाधिकार के विभिन्न मुद्दों पर दैनिक जागरण की विशेष संवाददाता माला दीक्षित ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा से लंबी बातचीत की।
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पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश:
सवाल- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एशिया प्रशांत क्षेत्र के राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों का दिल्ली में 20-21 सितंबर को द्विवार्षिक सम्मेलन आयोजित कर रहा है। इस बारे में कुछ बताएं?
उत्तर- एशिया पैसिफिक क्षेत्र में जो विभिन्न देश हैं इनमें जो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग बने हुए हैं, इसकी एक बैठक है जिसमें विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया जाना है। ये सम्मेलन 2019 में आयोजित होना था लेकिन कोरोना के कारण अभी तक नहीं हो सका। इसमें लगभग 31 देश हैं जिनमें 26 में मानवाधिकार आयोग हैं बाकी में मानवाधिकार आयोग बन तो गए हैं लेकिन उन्हें अभी मान्यता प्राप्त नहीं हुई है। इसलिए वे आब्जर्वर के तौर पर इसमें भाग लेंगे।सवाल- मानवाधिकार को लेकर लोग कितने जागरूक हैं?
उत्तर- अगर प्रचार और संरक्षण की बात करें तो लोग अब अपने मानवाधिकारों को लेकर जागरूक हैं। पहले जब हमने प्रारंभ किया था तो उस समय शिकायतों की संख्या कम थी। अब प्रत्येक दिन सिर्फ हमारे यहां 400 के लगभग शिकायतें आती हैं और सालाना एक लाख से अधिक शिकायतें आती हैं। इससे प्रतीत होता है कि लोगों में जागृति है। उनको जहां भी दिखता है कि उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है तो शिकायत करते हैं। जैसे किसी को पेंशन नहीं मिल रही, किसी को प्रधानमंत्री योजना का मकान नहीं मिल रहा जो उसे मिलना चाहिए, पुलिस ने रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं की, किसी की करंट लगने से मृत्यु हो गई उसका उसे मुआवजा चाहिए तो वो हमारे यहां आ रहे हैं।