'महिलाओं की स्थिति से निर्धारित होता है राष्ट्र का मूल्य', CJI बोले- सामाजिक कल्याण उपायों का लाभ पहुंचाने के लिए दूरदर्शी सोच की जरूरत
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को कहा कि किसी राष्ट्र का मूल्य उसकी महिलाओं की स्थिति से निर्धारित होता है और महिलाओं को महत्व देना मुख्य रूप से पुरुषों का मामला है। उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक कल्याण उपायों का लाभ वास्तव में नागरिकों तक पहुंचे यह सुनिश्चित करने के लिए दूरंदेशी नीतियों और निर्णयों की आवश्यकता है।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Fri, 10 Nov 2023 12:17 AM (IST)
पीटीआई, नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को कहा कि किसी राष्ट्र का मूल्य उसकी महिलाओं की स्थिति से निर्धारित होता है और महिलाओं को महत्व देना मुख्य रूप से पुरुषों का मामला है। उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक कल्याण उपायों का लाभ वास्तव में नागरिकों तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए दूरंदेशी नीतियों और निर्णयों की आवश्यकता है।
भारत में उत्कृष्ट कानून हैंः सीजेआई
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) और राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत में उत्कृष्ट कानून हैं जिन्हें अच्छे विश्वास के साथ लागू किया गया है, लेकिन विशाल एवं विविधतापूर्ण देश में वास्तविक चुनौती लोकतंत्र और संविधान की परिवर्तनकारी क्षमता का उपयोग करके उन्हें धरातल पर लोगों के अधिकारों की वास्तविक प्राप्ति में परिवर्तित करना है।
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उन्होंने कहा कि एक परिवार का मूल्य महिलाओं की स्थिति से निर्धारित होता है। इसलिए भविष्य में आगे बढ़ने के दौरान एक राष्ट्र के रूप में हमारा मूल्य काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि हम महिलाओं को कितना महत्व देते हैं और महिलाओं को महत्व देना महिलाओं का मुद्दा नहीं है। यह मुख्य रूप से पुरुषों का भी मुद्दा है। इसलिए इस आंदोलन को आगे बढ़ाने से पहले हमें अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है।
न्याय वास्तव में एक सेवा मानी जाती हैः सीजेआई
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एनसीडब्ल्यू और नालसा द्वारा किए जा रहे काम का वास्तविक मूल्य न्याय को लोगों के दरवाजे तक पहुंचाना है। दूसरे शब्दों में, न्याय सिर्फ राज्य का संप्रभु कार्य नहीं रह गया है, बल्कि न्याय वास्तव में एक सेवा मानी जाती है जो हम नागरिकों को प्रदान करते हैं।उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी लोगों के अधिकारों के लिए असीमित संभावनाओं, नई सुविधाओं और संभावनाओं को साकार करने के द्वार खोल रही है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आने वाले मामलों का जिक्र करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे मामले भी हैं जहां विचाराधीन कैदियों का कहना है कि जमानत मिलने के बावजूद उन्हें कई हफ्तों तक जेल से रिहा नहीं किया गया।