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    एक महीने में जस्टिस पार्डीवाला के तीन आदेशों पर CJI को करना पड़ा हस्तक्षेप, 2028 में बनेंगे चीफ जस्टिस

    सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जमशेद बुर्जोर पार्डीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ के तीन आदेशों से असमंजस की स्थिति पैदा हो गई जिसके कारण प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई को हस्तक्षेप करना पड़ा। जस्टिस पार्डीवाला की इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज प्रशांत कुमार पर टिप्पणी आवारा कुत्तों पर आदेश और हिमाचल प्रदेश में पारिस्थितिक असंतुलन पर दिए गए निर्देशों पर सवाल उठे।

    By Digital Desk Edited By: Deepak Gupta Updated: Sun, 24 Aug 2025 10:00 PM (IST)
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    एक महीने में जस्टिस पार्डीवाला के तीन आदेशों पर CJI को करना पड़ा हस्तक्षेप

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक महीने से भी कम समय में जस्टिस जमशेद बुर्जोर पार्डीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ के तीन आदेशों से सुप्रीम कोर्ट असमंजस में पड़ चुका है। इस कारण प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई को इन मामलों में हस्तक्षेप करना पड़ा। उल्लेखनीय है कि वरिष्ठता क्रम के अनुसार जस्टिस पार्डीवाला मई, 2028 में दो वर्ष के लिए प्रधान न्यायाधीश का पदभार ग्रहण करेंगे। वह नौ मई, 2022 से शीर्ष अदालत में न्यायाधीश हैं।

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    हाई कोर्ट जज के विरुद्ध टिप्पणियां

    जस्टिस पार्डीवाला ने एक दीवानी विवाद के मामले में आपराधिक कार्यवाही की अनुमति देने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज प्रशांत कुमार की आलोचना की थी और सेवानिवृत्ति तक उनसे आपराधिक मामले छीन लेने का आदेश दिया था। शीर्ष कोर्ट के कई वरिष्ठ जजों ने इस आदेश पर नाराजगी व्यक्त की थी और प्रधान न्यायाधीश को इससे अवगत कराया था। इस पर जस्टिस गवई ने जस्टिस पार्डीवाला को अपनी टिप्पणियों पर पुनर्विचार करने को कहा था।

    आठ अगस्त को उन्होंने अपनी टिप्पणियों को हटा दिया था और स्पष्ट किया था कि उनका उद्देश्य जस्टिस प्रशांत कुमार को शर्मिंदा करना या उन पर आक्षेप लगाना नहीं था।

    आवारा कुत्तों पर आदेश

    आवारा कुत्तों के काटने से रेबीज होने की बेहद गंभीर स्थिति को देखते हुए जस्टिस पार्डीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को सभी आवारा कुत्तों को जल्द से जल्द आश्रय गृहों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।

    इस आदेश की कुत्ता प्रेमियों और कई पशु कल्याण संगठनों ने आलोचना की थी, जिस कारण प्रधान न्यायाधीश गवई को यह मामला जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ को सौंपना पड़ा। इस पीठ ने 22 अगस्त को पूर्व के निर्देश को बेहद कठोर बताते हुए कुत्तों को नसबंदी के बाद छोड़ने का आदेश दिया।

    हिमाचल प्रदेश में पारिस्थितिक असंतुलन

    जस्टिस पार्डीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने 28 जुलाई को हिमाचल प्रदेश में पारिस्थितिक असंतुलन की ओर ध्यान दिलाया और कहा, ''हम प्रदेश सरकार और भारत सरकार को समझाना चाहते हैं कि राजस्व अर्जित करना ही सब कुछ नहीं है।

    पर्यावरण और पारिस्थितिकी की कीमत पर राजस्व अर्जित नहीं किया जा सकता। अगर हालात ऐसे ही रहे, तो वह दिन दूर नहीं जब पूरा हिमाचल प्रदेश नक्शे से गायब हो जाएगा। ईश्वर न करे, ऐसा न हो।'' अब यह मामला भी जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ को सौंप दिया गया है।

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