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'समाज के लिए करुणा की भावना ने मुझे जज बनाए रखा', सीजेआई चंद्रचूड़ ने दलित छात्र के पक्ष में दिए फैसले की कहानी सुनाई

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि समाज के प्रति उनकी करुणा की भावना ने ही एक न्यायाधीश के रूप में उन्हें निरंतरता प्रदान की है खासकर मामलों की पड़ताल जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर। पड़ताल का तत्व हमारे काम में शामिल है। इससे कोई भी चीज छूटती नहीं है। पड़ताल का यह तत्व हमारे न्यायालय के काम को निर्देशित करता है।

By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Sat, 26 Oct 2024 07:07 AM (IST)
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सीजेआई चंद्रचूड़ ने दलित छात्र के पक्ष में दिए फैसले की कहानी सुनाई
 पीटीआई, नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि समाज के प्रति उनकी करुणा की भावना ने ही एक न्यायाधीश के रूप में उन्हें निरंतरता प्रदान की है, खासकर मामलों की पड़ताल जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर। पड़ताल का तत्व हमारे काम में शामिल है। इससे कोई भी चीज छूटती नहीं है। पड़ताल का यह तत्व हमारे न्यायालय के काम को निर्देशित करता है। लेकिन न्यायाधीश के रूप में हमें बनाए रखने वाली चीज उस समाज के प्रति हमारी करुणा की भावना है, जिसके लिए हम न्याय करते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

गरीब लड़के की कहानी सुनाई

उन्हें बांबे हाई कोर्ट में वकीलों के संघ द्वारा सम्मानित किया गया। सीजेआइ ने एक ऐसे मामले का उल्लेख किया, जिसमें उस दलित छात्र को राहत दी गई थी, जो समय पर आइआइटी धनबाद में प्रवेश शुल्क का भुगतान नहीं कर सका था। उन्होंने कहा, लड़का वंचित पृष्ठभूमि से आता था। वह 17,500 रुपये की प्रवेश फीस भी नहीं दे सका था। अगर हमने उसे राहत नहीं दी होती, तो उसे कालेज में प्रवेश नहीं मिलता। यही वह चीज है, जिसने मुझे इतने सालों तक न्यायाधीश के रूप में बनाए रखा।

मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ राष्ट्रपति, पीएम और सीजेआई से शिकायत

राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन, जयपुर ने मुख्य न्यायाधीश एम.एम.श्रीवास्तव की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड और केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को शिकायती पत्र लिखा है। बार ने उच्च न्यायालय प्रशासन की ओर से शुक्रवार को आयोजित हुए दिवाली स्नेह मिलन का भी बहिष्कार किया और बार ने वकीलों के लिए अलग से स्नेह मिलन आयोजित किया।

शुक्रवार को उच्च न्यायालय में दिवाली से पहले अंतिम कार्य दिवस था। अब उच्च न्यायालय में कामकाज चार नवंबर से शुरू होगा। वकीलों ने उच्च न्यायालय की रोस्टर प्रणाली में सुधार करने, तत्काल मामलों को प्राथमिकता देने, बार के सुझावों को शामिल करने और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उच्च न्यायालय हाईब्रिड मोड में चलाने की मांग की है। साथ ही जमानत याचिकाओं के लिए विशेष बैंच गठित करने और शिकायत निवारण कमेटी बैठक नियमित करने की भी मांग की है।

तीन हजार से अधिक जमानत याचिका लंबित

उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रहलाद शर्मा ने बताया कि उच्च न्यायालय में तीन हजार से अधिक जमानत याचिका लंबित है। आरोपित जेल में बंद है। बार ने मुख्य न्यायाधीश से मांग की थी कि दीपावली के अवकाश के कारण नौ दिन सुनवाई बंद रहेगी, ऐसे में इस दौरान जमानत याचिकाओं के लिए विशेष बैंच का गठन होना चाहिए लेकिन उन्होंने इस मांग को नकार दिया।

स्तनपान संविधान के तहत जीवन के अधिकार का हिस्सा : केरल हाई कोर्ट

केरल हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि स्तनपान कराने का मां का अधिकार और स्तनपान करने वाले बच्चे का अधिकार संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन के अधिकार के पहलू हैं। अदालत ने बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें स्तनपान करने वाले बच्चे की कस्टडी उसके पिता को सौंप दी गई थी।

सीडब्ल्यूसी ने बच्चे की कस्टडी पिता को सौंप दी थी क्योंकि उसका मानना था कि बच्चा अपनी मां के साथ सुरक्षित नहीं रहेगा क्योंकि महिला अपने ससुर के साथ भाग गई थी। बच्चे को उसकी मां को सौंपने का निर्देश देते हुए जस्टिस वीजी अरुण ने कहा कि समिति का आदेश इसके सदस्यों के नैतिक पूर्वाग्रह को दर्शाता है। हाई कोर्ट ने कहा, ''समिति की एकमात्र चिंता बच्चे का सर्वोत्तम हित होना चाहिए। बच्चे की मां ने अपने पति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के साथ रहने का विकल्प चुना है, यह समिति की चिंता का विषय नहीं है।''