'देश की मां है सुप्रीम कोर्ट, ज्यादा से ज्यादा महिलाएं बनें जज'; जानें CJI ललित ने ऐसा क्यों कहा
CJI यूयू ललित ने भरोसा जताया कि बड़ी संख्या में महिलाएं जल्द ही न्यायपालिका के बड़े पदों पर काबिज होंगी। उन्होंने कहा कि उड़ीसा झारखंड राजस्थान और तमिलनाडु सहित पांच राज्यों में पहले से ही न्यायपालिका में अधिक महिलाएं हैं जल्द ही दूसरे राज्यों में ऐसा होगा।
By Mahen KhannaEdited By: Updated: Mon, 12 Sep 2022 04:07 AM (IST)
पुडुचेरी, एजेंसी। भारत के मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित (UU Lalit) ने आज एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जल्द ही न्यायिक पद बड़ी संख्या में महिलाओं द्वारा सुशोभित होंगे। सीजेआइ ललित शनिवार को पुडुचेरी में डा अंबेडकर गवर्नमेंट ला कालेज के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। CJI ललित ने कहा कि उड़ीसा, झारखंड, राजस्थान और तमिलनाडु सहित पांच राज्यों में पहले से ही न्यायपालिका में अधिक महिलाएं हैं, लेकिन दूसरे राज्यों में भी ऐसा होना चाहिए।
अधिक महिला न्यायाधीशों की जरूरत
एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान में इंडक्शन लेवल पर 180 जजों में से 129 महिलाएं हैं और ओडिशा और झारखंड में यह संख्या बहुत बड़ी है। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराज की उस अपील का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि महिलाओं को कानून की पढ़ाई के लिए बड़ी संख्या में आगे आना चाहिए और अधिक महिला न्यायाधीश भी होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट को मानता हूं देश की मां
CJI ने आगे कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट को देश की मां मानता हूं और मैं हमेशा इसमें विश्वास करता हूं। हम संस्था से बहुत कुछ सीखते हैं। अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार में एकमात्र न्यायाधीश थे जो कानून का अभ्यास कर रहे थे, लेकिन उनकी अगली पीढ़ी भी इसी पेशे का अभ्यास कर रहे हैं।दादा से ली सीख
उन्होंने कहा कि मैंने अपने दादा से संस्कृत सीखी और लिखी। मेरे जीवन में मेरे दादा की भूमिका बहुत ज्यादा है। सीजेआइ ने कहा कि ला कालेजों को अपने छात्रों को न्यायिक कार्य सिखाना चाहिए क्योंकि यह उन्हें जल्द से जल्द न्यायपालिका में प्रवेश करने के लिए प्रशिक्षित करेगा।
बता दें कि समारोह में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश वी. रामसुब्रमण्यम, एम.एम. सुंदरेश, मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और विभिन्न न्यायालयों के न्यायाधीश, पुडुचेरी के उपराज्यपाल डा तमिलिसाई सुंदरराजन और मुख्यमंत्री एन. रंगासामी और उनके मंत्री उपस्थित थे।