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छत्रपाल बहाल... मुख्यमंत्री के समक्ष रखी थी अपनी बात; सुप्रीम कोर्ट ने HC के आदेश को किया रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए छत्रपाल को बहाल करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि चतुर्थ श्रेणी के सरकारी कर्मचारी को महज इसलिए बर्खास्त नहीं किया जा सकता है। दरअसल छत्रपाल को इलाहाबाद हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और मुख्यमंत्री सहित उत्तर प्रदेश सरकार के अन्य अधिकारियों के समक्ष सीधे अपनी समस्या रखने की वजह से बर्खास्त कर दिया गया था।

By Agency Edited By: Anurag GuptaUpdated: Sat, 17 Feb 2024 05:14 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने छत्रपाल को किया बहाल (फाइल फोटो)
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चतुर्थ श्रेणी के सरकारी कर्मचारी को महज इसलिए बर्खास्त नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उसने वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष सीधे अभ्यावेदन दिया। जस्टिस बीआर गवई और पीके मिश्रा की पीठ ने जिला न्यायपालिका के एक कर्मचारी की बर्खास्तगी को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।

छत्रपाल को इलाहाबाद हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और मुख्यमंत्री सहित उत्तर प्रदेश सरकार के अन्य अधिकारियों के समक्ष सीधे अपनी समस्या रखने की वजह से बर्खास्त कर दिया गया था।

कोर्ट ने क्या कुछ कहा?

पीठ ने कहा कि एक चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी, जब वित्तीय कठिनाई में होता है, सीधे वरिष्ठों के सामने अपनी बात रखता है, लेकिन यह अपने आप में बड़े कदाचार की श्रेणी में नहीं आता है, जिसके लिए सेवा से बर्खास्तगी की सजा दी जानी चाहिए। 

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अपीलकर्ता ने बरेली जिला अदालत के अन्य कर्मचारियों के उदाहरणों का हवाला दिया है जिन्होंने सीधे वरिष्ठ अधिकारियों को अभ्यावेदन भेजा, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

छत्रपाल बहाल

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए छत्रपाल को बहाल करने का आदेश दिया। दरअसल, हाई कोर्ट ने 2019 में बर्खास्तगी को चुनौती देने वाली उनकी रिट याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि यह योग्यताहीन है।

क्या है पूरा मामला?

छत्रपाल को बरेली जिला न्यायालय में अर्दली, चतुर्थ श्रेणी के पद पर स्थायी आधार पर नियुक्त किया गया था। बाद में उनको ट्रांसफर कर दिया गया और बरेली की एक बाहरी अदालत के नजारत में प्रोसेस सर्वर के रूप में तैनात कर दिया गया। हालांकि, उन्होंने नजारत शाखा में कामकाज शुरू किया, लेकिन उन्हें अर्दली का पारिश्रमिक दिया जा रहा था।

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सनद रहे कि नजारत शाखा अदालतों द्वारा जारी किए गए समन, नोटिस, वारंट इत्यादि जैसी विभिन्न प्रक्रियाओं के वितरण और निष्पादन के लिए जिम्मेदार प्रक्रिया सेवा एजेंसी है।

वरिष्ठ अधिकारियों को कई अभ्यावेदन दिए जाने के बाद अपीलकर्ता को जून 2003 में निलंबित कर दिया गया था और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई।