Clean Ganga: बंगाल में गंगा का पानी नहाने के लायक भी नहीं, NGT ने नाराजगी जताते हुए नौ जिलों के डीएम को दिए निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा है कि बंगाल में गंगा नदी का पानी नहाने के लिए भी उपयुक्त नहीं है। इसके पूरे हिस्से में मल कोलीफार्म की मात्रा अधिक है। एनजीटी ने रेखांकित किया कि 258.67 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवेज सीधे नदी में बह रहा है। एनजीटी ने अधिकारियों को चेताया है कि यदि प्रदूषण से निपटने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए तो जुर्माना लगाया जाएगा।
पीटीआई, नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा है कि बंगाल में गंगा नदी का पानी नहाने के लिए भी उपयुक्त नहीं है। इसके पूरे हिस्से में मल कोलीफार्म की मात्रा अधिक है। एनजीटी ने रेखांकित किया कि 258.67 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवेज सीधे नदी में बह रहा है। इसके साथ ही एनजीटी ने संबंधित अधिकारियों को चेताया है कि यदि इस प्रदूषण से निपटने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए तो जुर्माना लगाया जाएगा।
एनजीटी प्रत्येक जिले और राज्य में गंगा के प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और कमी से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रहा था, जहां से गंगा नदी या उसकी सहायक नदियां बहती हैं। एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, सुधीर अग्रवाल, ए सेंथिल वेल और अफरोज अहमद की पीठ ने कहा कि बंगाल के उत्तर 24 परगना, मुर्शिदाबाद, नदिया, मालदा, हुगली, पूर्व बर्धमान, हावड़ा, पूर्व मेदिनीपुर और दक्षिण 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) ने अपनी रिपोर्ट दायर की है।
एनजीटी ने रिपोर्ट दायर करने के लिए कहा था
एनजीटी ने पूर्व की सुनवाई के दौरान उन्हें इस सबंध में रिपोर्ट दायर करने के लिए कहा था। पीठ ने कहा कि इन रिपोर्टों पर गौर करने पर हमने पाया है कि प्रतिदिन निकलने वाले सीवेज के उपचार के लिए कोई पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई है। यहां तक कि सीवेज के 100 प्रतिशत निदान के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कोई समयसीमा निर्धारित करने का उल्लेख भी नहीं किया गया है। 21 फरवरी को पारित एक आदेश में पीठ ने कहा था कि यह आश्चर्यजनक है कि पूर्व मेदिनीपुर जैसे कुछ जिलों में तो एक भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) नहीं है।रिपोर्टों में जो स्थिति दिखाई गई है, वह संतोषजनक नहीं
इन रिपोर्टों में जो स्थिति दिखाई गई है, वह संतोषजनक नहीं है और पता चलता है कि बंगाल में 258.67 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) सीवेज सीधे गंगा नदी में बह रहा है। पीठ ने कहा कि हमें किसी भी जिले में गंगा नदी में प्रदूषण को नियंत्रित करने की कोई प्रगति नहीं दिखी है। इसलिए, यदि अगली रिपोर्ट में पर्याप्त सुधार दिखाई नहीं दिया तो ट्रिब्यूनल के पास पर्यावरणीय मुआवजा(ईसी) लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।