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'जलवायु परिवर्तन को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता', दिल्ली की भयानक गर्मी पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अहम टिप्पणी

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कड़कड़डूमा शास्त्री पार्क और रोहिणी में अदालत परिसरों की आधारशिला रखी। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज हमने 3 अदालतों की आधारशिला रखी है। यह आधारशिला समारोह दिल्ली के नागरिकों और अन्य लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो न्याय की तलाश में यहां आएंगे। मुझे उम्मीद है कि यह परियोजना तय समय पर पूरी हो जाएगी।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Published: Tue, 02 Jul 2024 02:11 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2024 02:11 PM (IST)
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को दैनिक जीवन में हरित जीवनशैली को शामिल करने पर जोर दिया।

आईएएनएस, नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को दैनिक जीवन में हरित जीवनशैली को शामिल करने पर जोर दिया। उन्होंने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अब जलवायु परिवर्तन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। सीजेआई चंद्रचूड़ नई दिल्ली में कड़कड़डूमा, शास्त्री पार्क और रोहिणी में तीन न्यायालय भवनों के निर्माण के लिए आधारशिला रखने के समारोह में बोल रहे थे।

सीजेआई ने हरित जीवनशैली पर दिया जोर

इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने राष्ट्रीय राजधानी में हाल ही में एक ही दिन में दो हीटवेव और उसके बाद हुई रिकॉर्ड तोड़ बारिश का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “इस साल दिल्ली में सबसे ज्यादा गर्मी दर्ज की गई। हमारे बुनियादी ढांचे में वह वास्तविकता झलकनी चाहिए जिसमें हम रहते हैं- जलवायु परिवर्तन को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक महत्वपूर्ण कदम हमारे दैनिक जीवन में हरित जीवनशैली को शामिल करना है, जिसमें कार्बन उत्सर्जन को कम करना शामिल है।”

अदालती इमारतों को लेकर सीजेआई की टिप्पणी

सीजेआई ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि जीआरआईएचए-रेटेड ये नई अदालती इमारतें हीट आइलैंड शमन और पर्यावरण पदचिह्न को कम करने पर ध्यान केंद्रित करेंगी। ग्रीन रेटेड इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट (जीआरआईएचए)- एक रेटिंग टूल जो लोगों को कुछ राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य पर्यावरणीय मानदंडों के आधार पर अपने भवन के प्रदर्शन का आकलन करने में मदद करता है।

उन्होंने कहा, "सभी इमारतों की तरह न्यायालय परिसर भी सिर्फ ईंटों और कंक्रीट से नहीं बने होते। वे उम्मीदों से बने होते हैं। न्यायालय न्याय और कानून के शासन के गुणों को समझने के लिए बनाए गए हैं। हमारे सामने जो भी मामला दायर किया जा रहा है, वह न्याय की इसी उम्मीद के साथ है। जब हम अपने न्यायाधीशों, वकीलों और वादियों की सुरक्षा, पहुंच और आराम में निवेश करते हैं, तो हम सिर्फ एक कुशल प्रणाली ही नहीं बनाते- हम एक न्यायपूर्ण और समावेशी प्रणाली बनाते हैं।"

उन्होंने कहा कि नए न्यायालय परिसरों से न्यायालय की कार्यकुशलता बढ़ेगी, लंबित मुकदमों की संख्या में कमी आएगी और सभी हितधारकों को सम्मानजनक वातावरण मिलेगा।

इसके अलावा, सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायिक प्रणाली संविधान के अलावा किसी और की सेवा नहीं करती है और यह किसी और की नहीं बल्कि वादियों की सेवा करती है। उन्होंने कहा कि हमारी अदालतें केवल संप्रभु शक्ति के स्थल नहीं हैं, बल्कि आवश्यक सार्वजनिक सेवा प्रदाता भी हैं।

उन्होंने अंत में कहा, "मुझे उम्मीद है कि न्यायालयों में शामिल नए सदस्य इसकी समृद्ध विरासत को अपनाएंगे और कार्यकुशलता बढ़ाने तथा न्याय को कायम रखने के लिए भविष्योन्मुखी न्यायालयों का निर्माण करेंगे।"


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