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Monsoon 2024: लोगों को भीषण गर्मी से कब मिलेगी राहत? IMD ने बारिश को लेकर जारी किया नया अपडेट

भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया है कि इस साल बड़े पैमाने पर जलवायु संबंधी घटनाएं दक्षिण-पश्चिम मानसून के लिए अनुकूल हैं। महापात्र ने मध्य प्रशांत महासागर के गर्म होने का जिक्र करते हुए कहा कि इस साल जून की शुरुआत तक अल नीनो का प्रभाव कम होता दिख रहा है। जुलाई-सितंबर में ला नीना की स्थिति देखी जा सकती है।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Fri, 05 Apr 2024 08:00 PM (IST)
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इस वर्ष मानसून में हो सकती है अच्छी वर्षा- मृत्युंजय महापात्र
पीटीआई, नई दिल्ली। देश का बड़ा हिस्सा भीषण गर्मी से तप रहा है। इस बीच मौसम विज्ञानी ने उम्मीद जताई है कि इस वर्ष अच्छी मानसूनी वर्षा हो सकती है। भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया है कि इस साल बड़े पैमाने पर जलवायु संबंधी घटनाएं दक्षिण-पश्चिम मानसून के लिए अनुकूल हैं।

अल नीनो और ला नीना पर क्या बोले महापात्र?

महापात्र ने मध्य प्रशांत महासागर के गर्म होने का जिक्र करते हुए कहा कि इस साल जून की शुरुआत तक अल नीनो का प्रभाव कम होता दिख रहा है। जुलाई-सितंबर में ला नीना की स्थिति देखी जा सकती है। मध्य प्रशांत महासागर के ठंडा होने की घटना को ला नीना कहते हैं। प्रबल अल नीनो की घटना कमजोर मानसून की स्थिति को दर्शाती है, इसकी वजह से भारत के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में सूखे का सामना करना पड़ता है, वहीं ला नीना से भारत में अच्छी मानसूनी वर्षा होती है।

भारतीय मानसून के लिए अच्छा है ला नीना की घटनाः IMD

महापात्र ने कहा कि ला नीना की घटना भारतीय मानसून के लिए अच्छा है। वहीं अल नीनो की घटना अच्छी नहीं है। 60 प्रतिशत वर्षों में अल नीनो का भारतीय मानसून पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि इस साल बर्फबारी भी कम हुई है। यह एक और सकारात्मक कारक है। इसलिए बड़े पैमाने पर जलवायु संबंधी घटनाएं मानसून के लिए अनुकूल हैं। भारत में वार्षिक वर्षा में से लगभग 70 प्रतिशत वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून के कारण ही होती है। यह वर्षा भारत में खेती के लिए महत्वपूर्ण है।

जीडीपी में कृषि क्षेत्र का कितना है योगदान?

भारत की जीडीपी में लगभग 14 प्रतिशत योगदान कृषि क्षेत्र का है। भारत की आधे से अधिक आबादी रोजगार के लिए कृषि पर ही निर्भर हैं। भारत में 2023 के मानसून सीजन में 868.6 मिमी औसत की तुलना में 820 मिमी की 'औसत से कम' संचयी वर्षा हुई। इसके लिए मजबूत अल नीनो को जिम्मेदार ठहराया गया था।

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दक्षिण-पश्चिम मानसून का पूर्वानुमान इस दिन जारी करेगा IMD?

मौसम विभाग इस महीने के अंत में दक्षिण-पश्चिम मानसून का पूर्वानुमान जारी करने के लिए तैयार है। मौसम विभाग मानसून सीजन की बारिश की भविष्यवाणी के लिए तीन प्रमुख जलवायु घटनाओं पर विचार करता है। इनमें अल नीनो, हिंद महासागर डाइपोल (आईओडी) और उत्तरी हिमालय और यूरेशियाई भूभाग पर बर्फबारी की घटना शामिल है। भूमध्यरेखीय हिंद महासागर के पश्चिमी और पूर्वी किनारों के अलग-अलग तापमान के कारण आईओडी की घटना होती है। 

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