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'डिजिटल क्रांति के लिए चाहिए शुल्क कटौती', अंतरिम बजट पेश होने से पहले COAI ने सरकार से किया आग्रह

सीओएआइ का कहना है कि एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले काल दरों के कम होने की वजह से न्यूनतम टैरिफ मार्जिन होने और अतिरिक्त स्पेक्ट्रम खरीदने की वजह से मोबाइल उद्योग काफी दबाव में है। दूसरा सुझाव है कि मोबाइल कंपनियों सरकार की तरफ से आवंटित स्पेक्ट्रम पर सेवा देती हैं। इनका कहना है कि प्राकृतिक संसाधन होने की वजह से इस पर सेवा शुल्क नहीं लगनी चाहिए।

By Jagran News Edited By: Shalini Kumari Updated: Sun, 21 Jan 2024 05:38 PM (IST)
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मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों के संगठन का सरकार से आग्रह (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। 01 फरवरी, 2024 को पेश होने वाले अंतरिम बजट को लेकर उद्योग जगत बेहद उत्साह में है। अंतरिम बजट होने के बावजूद तमाम उद्योगों की तरफ से वित्त मंत्रालय को सुझावों की फेहरिस्त भेजी जा रही है।

सरकार से मोबाइल सेवा प्रादातओं का अनुरोध

इस क्रम में मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों के संगठन COAI ने सरकार से आग्रह किया है कि उन्हें प्रत्यक्ष कर के साथ ही जीएसटी में भी राहत मिलनी चाहिए। खास तौर पर तब जब सरकार की तरफ से डिजिटल इकॉनमी को खूब बढ़ावा दिया जा रहा है, तब देश की मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों की बात भी सुनने का आग्रह किया गया है। सुझाव इन कंपनियों के संगठन सेल्युलर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआइ) की तरफ से दिया गया है।

नए निवेश का मिलेगा मौका

सीओएआइ का कहना है कि एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले, काल दरों के कम होने की वजह से न्यूनतम टैरिफ मार्जिन होने और अतिरिक्त स्पेक्ट्रम खरीदने की वजह से मोबाइल उद्योग काफी दबाव में है। प्रत्यक्ष कर को लेकर एक मांग यह है कि आयकर अधिनियम 1961 की धारा 72 के तहत अभी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों को अपनी हानि की आठ वर्षों में समायोजित करने का अधिकार दिया गया है, जिसे बढ़ा कर 18 वर्ष कर देनी चाहिए। इससे पूरे उद्योग को राहत मिलेगी और वह नये निवेश के लिए आसानी से फंड जुटा सकेगा।

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सेवा कर हटाने का दिया सुझाव

दूसरा सुझाव सेवा कर के बारे में है। मोबाइल कंपनियों सरकार की तरफ से आवंटित स्पेक्ट्रम पर सेवा देते हैं। इनका कहना है कि प्राकृतिक संसाधन होने की वजह से इस पर सेवा शुल्क नहीं लगनी चाहिए। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिस एजीआर का भुगतान किया जा रहा है, उस पर भी सेवा कर लगाने का प्रावधान है। सीओएआइ ने इसे खत्म करने का भी आग्रह किया है। मोबाइल कंपनियां काफी सारे उपकरण आयात करती हैं, जिस पर अभी ज्यादा सीमा शुल्क देना पड़ता है। इसमें भी राहत की मांग की गई है।

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