मोटा अनाज भी बन सकता है राजनीति का बारीक हथियार, कर्नाटक में रागी की सर्वाधिक 7 लाख टन होगी सरकारी खरीद
अंतरराष्ट्रीय मिलैट्स वर्ष-2023 में मोटा अनाज उत्पादक राज्यों में जहां सरकारी खरीद को प्रोत्साहित किया जा रहा है वहीं राशन दुकानों से उपभोक्ताओं को मोटे अनाज के वितरण भी किया जाएगा। कर्नाटक और मध्य प्रदेश न सिर्फ आगे बढ़कर खरीद कर रहे हैं बल्कि राशन प्रणाली पर बांट रहे है।
By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Wed, 25 Jan 2023 08:22 PM (IST)
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। मोटा अनाज एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। सरकारी स्तर पर हर भोज में मोटा अनाज हीरो बना हुआ है। किसानों को लाभ पहुचाने की तैयारी हो रही है। 'अंतरराष्ट्रीय मिलैट्स वर्ष-2023' में मोटा अनाज उत्पादक राज्यों में जहां सरकारी खरीद को प्रोत्साहित किया जा रहा है, वहीं राशन दुकानों से उपभोक्ताओं को मोटे अनाज के वितरण भी किया जाएगा।
राजस्थान सरकारी खरीद में फिसड्डी साबित हो रहा
देश के प्रमुख मोटा अनाज उत्पादक राज्यों में हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और तमिलनाडु में मोटे अनाज की खरीद हो रही है। लेकिन चुनावी राज्य छत्तीसगढ़ और राजस्थान इसमें पिछड़ गए हैं।
वहीं कर्नाटक और मध्य प्रदेश न सिर्फ आगे बढ़कर खरीद कर रहे हैं बल्कि राशन प्रणाली पर बांट भी रहा है। जाहिर तौर पर यह अटकल भी तेज हो गई है कि क्या मोटा अनाज चुनावी मुद्दा भी बन सकता है। राजस्थान में इसी साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होने हैं। किसानों के साथ उपभोक्ताओं को मोटे अनाज की सरकारी खरीद और वितरण से लाभ दिया जा सकता है।
बाजरे का सर्वाधिक 40 फीसद उत्पादन करने वाला राजस्थान सरकारी खरीद में फिसड्डी साबित हो रहा है। इससे न तो वहां के किसानों को लाभ मिल पा रहा है और न ही उपभोक्ताओं को रियायती दर में यह मिल पा रहा है। इसके विपरीत राजस्थान सरकार की ओर से सरकारी खरीद न हो पाने की तोहमत केंद्रीय खाद्य मंत्रालय पर मढ़ा जा रहा है। खरीफ सीजन में हुई चूक का खामियाजा राज्य में सत्तारुढ़ कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है।
केंद्रीए एजेंसी एफसीआई ने राजस्थान में कुछ खरीद केंद्र खोलकर खरीद कर रही है, लेकिन यह दायित्व राज्यों का है। मोटे अनाज की खेती वाला दूसरा बड़ा चुनावी राज्य कर्नाटक है, जहां रागी की खेती बड़े स्तर पर होती है। कहने तो तो रागी भले ही मोटा अनाज वर्ग में शामिल है, लेकिन आज की तारीख में उसे सुपर फूड के श्रेणी में रखा जा रहा है। इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3500 रुपए प्रति क्विंटल है।
चुनाव के मद्देनजर वहां की सरकार ने चालू मार्केटिंग सीजन में कुल सात लाख टन रागी खरीद की लक्ष्य निर्धारित किया है। कर्नाटक अपने उपभोक्ताओं को राशन प्रणाली पर दो किलो रागी और तीन किलो चावल का वितरण कर रहा है।