कंप्यूटर इंजीनियर भुवनानंद ने 25 साल में सैकड़ों सांपों को दिया जीवनदान, जानिए- कैसे मिली प्रेरणा
भुवनानंद ने बताया कि जब वह कक्षा आठवीं में पढ़ते थे। पुस्तक से सांपों को पकड़ने की तरकीब जानी और सांप पकड़ना शुरू कर दिया।
By Tilak RajEdited By: Updated: Fri, 24 Jul 2020 10:19 PM (IST)
बालाघाट, जेएनएन। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के वारासिवनी तहसील के दीनी निवासी भुवनानंद उपवंशी ने बचपन में एक पुस्तक के माध्यम से सांपों (सर्प) का महत्व जाना और उन्हें बचाने का संकल्प लिया। इसके बाद भुवनानंद सांप पकड़ने लगे और समय के साथ इस कला में इतने माहिर हो गए कि अब वे समूचे क्षेत्र में 'सर्प पकड़ने वाले बाबा' के नाम से विख्यात हैं। 25 साल में अब तक सैकड़ों सांपों को पकड़कर वे जंगल में छोड़कर जीवनदान दे चुके हैं। उनका कहना है कि सांप किसानों के मित्र हैं। उन्हें मारने की बजाय बचाने का प्रयास करना चाहिए।
भुवनानंद ने बताया कि जब वह कक्षा आठवीं में पढ़ते थे। तब शिक्षक पिता अमृतलाल उपवंशी द्वारा लाई गई चिल्ड्रन नॉलेज बैंक पुस्तक पढ़ी। इसमें सांपों के बारे में जानकारी और पर्यावरण व कृषि के लिहाज से सांपों की उपयोगिता का जिक्र था। उन्होंने पुस्तक से सांपों को पकड़ने की तरकीब जानी और सांप पकड़ना शुरू कर दिया। कई बार जान का जोखिम भी उठाना पड़ा, लेकिन सतर्कता से कभी कोई नुकसान नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि इसके बारे में परिवार को पता चलने पर उनकी खूब पिटाई भी हुई, लेकिन उनकी यह आदत नहीं छूटी।
महाराष्ट्र में भी पकड़े सांप
भुवनानंद कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद अपने गांव में रोजगार सहायक के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने अपने गांव सहित पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के गोंदिया में सांपों को पकड़कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर छोड़ा है। वह बताते हैं कि 14 साल की आयु से सांप पकड़ते आ रहे हैं। वह टॉर्च की रोशनी में भी सांप पकड़ लेते हैं। गांव के कई युवकों को सांप पकड़ने का हुनर सिखा रहे हैं।
विशेषज्ञ की रायवाइल्ड एंड टाइगर कंजर्वेशन ग्रुप के सर्प एवं वन्यजीव रेस्क्यू विशेषज्ञ मनीष कुमार कुलश्रेष्ठ बताते हैा कि सांप को पहचान कर उसका बचाव कार्य करना चाहिए। सांप को पकड़ने में उपकरण का उपयोग करें। सांप को डंडे या फिर लोहे की रॉड से दबाने पर अंदरूनी घाव होते हैं, जिससे जंगल में छोड़ने पर घाव में चीटियां लग जाती हैं। सांप को पकड़ने का प्रशिक्षण जरूरी है।