'पीएम-किसान' योजना को लेकर केंद्र और बंगाल सरकार में घमासान, बढ़ सकती है ममता की मुश्किलें
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र ¨सह तोमर को पत्र लिखकर पीएम-किसान योजना की धनराशि सरकार को देने की मांग की है। केंद्र सरकार ने दो-टूक जवाब दिया है। तोमर ने बताया कि इस योजना का पैसा सीधे किसानों के बैंक खाते में जमा कराया जाता है।
By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Thu, 24 Dec 2020 07:19 AM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पीएम-किसान सम्मान निधि का पैसा जहां देश के सभी राज्यों के किसानों के बैंक खाते में पहुंचने लगा है, वहीं पश्चिम बंगाल की सरकार को अब सुध आई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र ¨सह तोमर को पत्र लिखकर पीएम-किसान योजना की धनराशि सरकार को देने की मांग की है। केंद्र सरकार ने दो-टूक जवाब देने का फैसला किया है। इस बारे में तोमर ने बताया कि इस योजना का पैसा सीधे किसानों के बैंक खाते में जमा कराया जाता है। इसे किसी राज्य सरकार को नहीं दिया जा सकता। इस संबंध में राज्य सरकार को जल्दी ही जवाब भेजा जाएगा, जिसमें योजना के मानदंडों को शामिल किया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार सिर्फ किसानों की सूची को पुष्ट करने के साथ सभी दस्तावेजों की तस्दीक करेगी।
बंगाल के किसानों को नहीं मिल रहा पीएम-किसान योजना का लाभपश्चिम बंगाल के 22 लाख किसानों ने पीएम-किसान योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए कृषि मंत्रालय की साइट पर जाकर खुद को रजिस्टर्ड कर लिया है। लेकिन उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। चूंकि इसके लिए राज्य सरकार को उनके किसान होने के दस्तावेजों की पुष्टि करनी होगी। इसके साथ ही, किसानों के बैंक खातों का उनके आधार नंबर से जुड़ना जरूरी है। इन सारी जानकारियों और नियम व शर्तों वाली सूची राज्य सरकार को भेजी जा रही है। राज्य सरकार ने पीएम-किसान योजना में शामिल होने से मना कर दिया था, जिससे पश्चिम बंगाल के किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका है।
किसानों में ममता सरकार के प्रति नाराजगी राज्य में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। राज्य के किसानों में ममता सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ रही है। भाजपा इसका जमकर प्रचार करते हुए राज्य की तृणमूल कांग्रेस की आलोचना कर रही है। चुनाव पूर्व मचे घमासान में पीएम-किसान निधि का मसला ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ा सकता है। बंगाल के चुनावी रण में किसानों के बीच यह बड़ा मुद्दा होगा। राज्य के किसानों का सालाना छह हजार रुपये का सीधा नुकसान हो रहा है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा इसका जमकर प्रचार कर रही है।