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ब्रॉडकास्टिंग सर्विस रेगुलेशन बिल के विरोध में विपक्ष ने शुरू की गोलबंदी, कांग्रेस ने गिनाए इसके खतरे

केंद्र की ओर से प्रस्तावित ब्रॉडकास्टिंग सर्विस रेगुलेशन बिल का संसद में पेश होने से पहले ही विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस ने इससे कई खतरे गिनाते हुए विपक्षी दलों से इसके विरोध का आह्वान किया है। कई दलों ने इस पर गोलबंदी भी शुरू कर दी है। कांग्रेस ने कहा कि बिल के जरिए सरकार वैकल्पिक डिजिटल मीडिया की स्वतंत्रता को खत्म करना चाहती है।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Sat, 03 Aug 2024 11:00 PM (IST)
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कांग्रेस ने मुद्दे पर गठबंधन के सहयोगी दलों से चर्चा शुरू कर दी है। (File Image)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने डिजिटल मीडिया को नियंत्रण के दायरे में लाने के इरादे से लाए जा रहे प्रसारण सेवा नियमन विधेयक का पूरजोर विरोध करने का एलान किया है। पार्टी ने दावा किया है कि राजग सरकार इस विधेयक के जरिए लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ वैकल्पिक डिजिटल मीडिया की स्वतंत्रता को खत्म करना चाहती है।

संसद में विधेयक का विरोध करने के लिए कांग्रेस ने इस मसले पर विपक्षी आईएनडीआईए गठबंधन के सहयोगी दलों से भी चर्चा शुरू कर दी है। तृणमूल कांग्रेस ने भी इसका विरोध करने की घोषणा की है तो शिवसेना यूबीटी, द्रमुक से लेकर एनसीपी सरीखे विपक्षी खेमे के प्रमुख दलों ने भी विधेयक की मंशा पर सवाल उठाते हुए इसकी खिलाफत के इरादे साफ कर दिए हैं।

कांग्रेस ने बिल के खिलाफ गोलबंद होने का किया आह्वान

कांग्रेस ने राजनीतिक पार्टियों के साथ सभी से प्रसारण सेवा नियमन विधेयक के खिलाफ गोलबंद होने का आहृवान करते हुए तर्क दिया है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वतंत्र मीडिया के लिए सीधा खतरा है, क्योंकि इसके जरिए व्यक्तिगत कंटेंट बनाने वालों को भी नियमन के दायरे में जकड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने विधेयक से जुड़े कई पहलुओं को चिंताजनक बताते हुए कहा कि सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर से लेकर स्वतंत्र समाचार आउटलेट और कंटेंट क्रिएटर्स पर सरकार का बढ़ता नियंत्रण प्रेस की स्वतंत्रता को खतरे में डालता है। यह फ्री स्पीच को भी प्रतिबंधित करता है। उनके अनुसार यह विधेयक वीडियो अपलोड करने, पॉडकास्ट बनाने या समसामयिक मामलों के बारे में लिखने वाले किसी भी व्यक्ति को डिजिटल समाचार प्रसारक के रूप में लेबल करता है।

कांग्रेस ने बताया फ्री स्पीच को खतरा

पवन खेड़ा ने कहा कि यह स्वतंत्र समाचार कवरेज प्रदान करने वाले व्यक्तियों और छोटी टीमों को अनावश्यक रूप से नियमन के दायरे में कर सकता है। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने भी खेड़ा के बयानों का समर्थन किया है। पार्टी ऑनलाइन क्रिएटर्स के लिए कंटेंट मूल्यांकन समितियां स्थापित करने की आवश्यकता को प्रकाशन-पूर्व सेंसरशिप बता रही है, जिससे समाचार मिलने में देरी के साथ फ्री स्पीच पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

छोटे कंटेंट क्रिएटर्स पर बढ़ेगा बोझ: कांग्रेस

खेड़ा के अनुसार प्रस्तावित विधेयक छोटे कंटेंट क्रिएटर्स पर भारी नियामक बोझ बढ़ाएगा, क्योंकि यह उन्हें बड़े मीडिया उपक्रमों की तरह मानता है। कई स्वतंत्र पत्रकारों के पास अनुपालन करने के लिए संसाधनों की कमी है और वे बंद हो सकते हैं। अपने प्लेटफॉर्म से पैसे कमाने वाले कंटेंट क्रिएटर्स को पारंपरिक ब्रॉडकास्टर्स की तरह ही कड़े नियमों का सामना करना पड़ेगा और यह नए लोगों के प्रवेश को हतोत्साहित कर स्वतंत्र क्रिएटर्स की आर्थिक क्षमता समाप्त करेगा।

कांग्रेस के मुताबिक विधेयक के मसौदे की प्रक्रिया में नागरिक समाज, पत्रकार और प्रमुख हितधारकों को शामिल नहीं किया गया है, जिससे पारदर्शिता और समावेशिता ही नहीं स्वतंत्र पत्रकारिता खतरे में होगी और ऑनलाइन दुनिया में अत्यधिक सरकारी निगरानी का रास्ता खुलेगा।

टीएमसी भी कर चुकी है विरोध

राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन इस विधेयक का विरोध करने के पार्टी के इरादे जाहिर कर चुके हैं। शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने भी ऐसा ही रूख जाहिर करते हुए आरोप लगाया है कि मुख्यधारा की मीडिया को पहले ही शिकंजे में ले चुकी यह सरकार अब ऑनलाइन स्वतंत्र मीडिया की गिरेबान पकड़ना चाहती है और विपक्ष इसका तगड़ा विरोध करेगा।