कर्नाटक में मतांतरण विरोधी कानून को रद्द करेगी कांग्रेस सरकार, स्कूल पाठ्यक्रम में भी होंगे बदलाव
कानून में गलत तरीके से मत परिवर्तन कराने वाले के लिए तीन से पांच वर्ष के कारावास और 25 हजार रुपये के अर्थदंड का प्रविधान है। नाबालिग महिला अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों का गलत तरीके से मत परिवर्तन कराने पर कारावास और अर्थदंड की राशि बढ़ जाती है।
By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Fri, 16 Jun 2023 06:39 AM (IST)
बेंगलुरु, एजेंसी। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कई चर्चित फैसलों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इसके तहत सिद्दरमैया सरकार ने मतांतरण विरोधी कानून को रद करने का फैसला किया है।
साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर से संबंधित पाठों को स्कूल पाठ्यक्रम से हटाने का फैसला किया है। यह जानकारी प्रदेश के कानून एवं विधायी मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने दी है।
तीन जुलाई को प्रस्ताव किया जाएगा पेश
कर्नाटक मंत्रिमंडल की गुरुवार को हुई बैठक में इस आशय के फैसले लिए गए। मतांतरण विरोधी कानून को रद करने का प्रस्ताव तीन जुलाई से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा। यह कानून विपक्ष के कड़े विरोध के बीच 2022 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने बनाया था। यह कानून लालच देकर, दबाव बनाकर, बरगलाकर और निर्धारित प्रक्रिया पूरी किए बगैर मत परिवर्तन को रोकता है।गलत तरीके से मत परिवर्तन कराने पर पांच साल की सजा
कानून में गलत तरीके से मत परिवर्तन कराने वाले के लिए तीन से पांच वर्ष के कारावास और 25 हजार रुपये के अर्थदंड का प्रविधान है। नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों का गलत तरीके से मत परिवर्तन कराने पर कारावास और अर्थदंड की राशि बढ़ जाती है। अगर गलत तरीके से मत परिवर्तन करवाकर शादी की जाती है तो उस शादी को भी रद करने का कानून में प्रविधान है।
इसमें अवैध मतांतरण के शिकार हुए व्यक्ति को दोषी व्यक्ति से पांच लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दिलवाए जाने का भी प्रविधान है। कानून में गलत तरीके से मतांतरण को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
फुले, नेहरू और आंबेडकर पर अध्याय होंगे शामिल
मंत्रिमंडल ने कन्नड़ और सामाजिक विज्ञान की कक्षा छह व कक्षा दस की पाठ्य पुस्तकों से आरएसएस के संस्थापक हेडगेवार और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सावरकर से संबंधित अध्याय हटाने का फैसला किया है।
ये अध्याय चालू शैक्षणिक सत्र से हटेंगे। कैबिनेट ने सावित्रीबाई फुले, पंडित नेहरू का इंदिरा गांधी को पत्र व डा. आंबेडकर पर लिखी कविता को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है। मंत्रिमंडल ने सभी शिक्षण संस्थाओं के लिए प्रतिदिन संविधान की मूल मान्यताओं का पाठन अनिवार्य कर दिया है। एक अन्य निर्णय में कन्नड़ भाषा की फिल्म डेयरडेविल मुस्तफा को टैक्स फ्री कर दिया गया है।