'I.N.D.I गठबंधन सरकार पर्यावरण की करेगी रक्षा', कांग्रेस ने की सुप्रीम कोर्ट के 'वन परिभाषा' आदेश की सराहना
कांग्रेस ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के वन परिभाषा आदेश की सराहना की। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस इस आदेश की सराहना करती है और जब हम I. N. D.I गठबंधन सरकार बनाएंगे तो भारत के जंगलों और पर्यावरण की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जंगल की शब्दकोश परिभाषा का 1996 के फैसले के अनुसार पालन किया जाना चाहिए।
पीटीआई, नई दिल्ली। कांग्रेस ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के वन परिभाषा आदेश की सराहना करते हुए कहा कि I.N.D.I गठबंधन सरकार पर्यावरण की रक्षा करेगी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि 'चुनावी बांड घोटाले' के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की 'घोर अवैध और विनाशकारी' योजनाओं को रोक दिया है। पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश ने एक मीडिया रिपोर्ट को भी टैग किया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि शब्दकोष में 'जंगल' का अर्थ लागू किया जाए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरणीय मंजूरी का उल्लंघन करने वाली परियोजनाओं को दी गई अवैध अनुमतियों पर रोक लगा दी है। साथ ही आदेश दिया है कि जंगल की शब्दकोश परिभाषा का 1996 के फैसले के अनुसार पालन किया जाना चाहिए।
कांग्रेस ने पीएम मोदी पर लगया आरोप
कांग्रेस नेता रमेश ने आरोप लगाते हुए कहा 'प्रधानमंत्री अपने कॉरपोरेट करीबी दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए भारत के जंगलों को सौंपना और पर्यावरण को प्रदूषित करना आसान बनाना चाहते थे, इसलिए सबसे पहले उन्होंने 2017 में नियमों में बदलाव किया ताकि वन मंजूरी का उल्लंघन करने वाली परियोजनाओं को वैध बनाया जा सके।'After the electoral bonds scam, the Supreme Court has stopped another set of blatantly illegal and disastrous Modi government schemes.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) February 20, 2024
The Prime Minister wanted to make it easier to hand over India’s forests and pollute the environment, to benefit his corporate crony friends. So… pic.twitter.com/vA3i8cT46v
जयराम रमेश ने दावा किया कि कोयला खदानों, कारखानों और सीमेंट संयंत्रों सहित बड़े कॉरपोरेटों की 100 से अधिक परियोजनाओं को पर्यावरणीय मंजूरी का उल्लंघन करते हुए खुलेआम काम शुरू करने की अनुमति दी गई। इसके बाद, 2023 में, मोदी सरकार वन संरक्षण संशोधन लेकर आई, जिसने 2 लाख वर्ग किलोमीटर जंगलों से सुरक्षा छीन ली।
1996 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरी तरह से उल्लंघन
जयराम रमेश ने दावा किया कि यह 1996 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरी तरह से उल्लंघन था। इस संशोधन से 'मानित वनों' के साथ-साथ उत्तर पूर्व के जंगलों को भी हटाना आसान हो जाता। रमेश ने कहा, 'शुक्र है कि सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों अवैध कदमों पर रोक लगा दी है।'रमेश ने आरोप लगाया कि एक-एक करके, मोदी सरकार के घोटाले और धोखाधड़ी भारत की सर्वोच्च अदालत में उजागर हो रहे हैं। 2023 के वन संरक्षण कानून में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच से निपटते हुए, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सोमवार को राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने अधिकार क्षेत्र में वन भूमि का विवरण 31 मार्च तक केंद्र को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।