OBC मसले पर BJP को आक्रामक तरीके से घेर रही कांग्रेस, महिला आरक्षण को लेकर दोहरे दांव के साथ बढ़ रही पार्टी
संसद के विशेष सत्र में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित होने के तत्काल बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के इस अभियान की न केवल कमान थाम ली है बल्कि ओबीसी की भागीदारी और जातीय जनगणना की मुखर आवाज उठाते हुए वे मोदी सरकार को सियासी निशाने पर ले रहे हैं। महिला आरक्षण की हिमायत कमजोर नजर नहीं आए।
By Jagran NewsEdited By: Amit SinghUpdated: Mon, 25 Sep 2023 11:26 PM (IST)
संजय मिश्र, नई दिल्ली: महिला आरक्षण को 2024 लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा गेमचेंजर बनाने के भाजपा के दांव को कांग्रेस ने जातीय जनगणना और ओबीसी की सत्ता में भागीदारी के जरिए थामने के अभियान को आक्रामक अंदाज में गति दे दी है। कांग्रेस ने महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने की पैरोकारी के साथ ओबीसी और जातीय जनगणना के दोहरे रणनीतिक दांव से भाजपा के प्रभावशाली पिछड़े वोट बैंक पर सियासी फोकस बढ़ा दिया है।
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मोदी सरकार पर सियासी निशाना
संसद के विशेष सत्र में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित होने के तत्काल बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के इस अभियान की न केवल कमान थाम ली है, बल्कि ओबीसी की भागीदारी और जातीय जनगणना की मुखर आवाज उठाते हुए वे मोदी सरकार को सियासी निशाने पर ले रहे हैं। महिला आरक्षण की हिमायत कमजोर नजर नहीं आए, इसके लिए कांग्रेस ने सोमवार को देशभर के 21 प्रमुख शहरों में अपनी महिला नेताओं को प्रेस कांफ्रेंस के लिए उतार कर विधेयक पारित होने के बाद भी महिला आरक्षण के लागू नहीं हो पाने को लेकर गंभीर सवाल उठाए।आरक्षण को चुनावी जुमला बताने की कोशिश
लखनऊ, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु आदि प्रमुख शहरों में हुई इन कांफ्रेंस के जरिये महिला आरक्षण को चुनावी जुमला बताने की कोशिश की और कहा कि अगले दस साल तक महिला आरक्षण लागू नहीं हो पाएगा। दरअसल, नारी शक्ति वंदन अधिनियम का कांग्रेस ने बिना शर्त समर्थन किया था और इसीलिए ओबीसी तथा जातीय जनगणना की अपनी मांग से महिलाओं को संसद व विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण देने को लेकर किसी तरह का किंतु-परंतु का संदेश जाने का पार्टी जोखिम नहीं लेना चाहती।
भाजपा के ओबीसी कार्ड पर प्रहार
आधी आबादी को साधने के लिए चले गए मोदी सरकार के महिला आरक्षण दांव से विपक्षी सियासत को डगमगाने से रोकने के लिए राहुल गांधी ने पहले दिन से ही भाजपा के ओबीसी के मजबूत कार्ड पर प्रहार शुरू किया है। लोकसभा में नारी शक्ति वंदन विधेयक की चर्चा के दौरान राहुल ने केंद्र सरकार के 90 सचिवों में केवल तीन ओबीसी वर्ग के होने की बात उठाते हुए केंद्र की सत्ता में ओबीसी की आनुपातिक हिस्सेदारी नहीं होने का मुद्दा उछाला था। साथ ही इस विसंगति को दूर करने के लिए जातीय जनगणना कराने की न केवल मांग की, बल्कि यह एलान भी कर दिया कि भाजपा ने ऐसा नहीं किया तो सत्ता में आने पर कांग्रेस जातिवार जनगणना कराएगी।
यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश चुनाव के लिए भाजपा ने अब तक की 78 उम्मीदवारों की घोषणा, राष्ट्रीय स्तर के कई नेताओं पर चला दांवमहिला आरक्षण पर भाजपा के सियासी दांव को थामने की कांग्रेस की बेचैनी का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि लोकसभा से महिला बिल पारित होने के छह दिन में ही राहुल कम से कम पांच बार ओबीसी की केंद्र की सत्ता में बेहद कम भागीदारी और जातीय जनगणना कराए जाने की मांग उठा चुके हैं। सोमवार को छत्तीसगढ़ के रायपुर की रैली में भी वे भाजपा पर इसको लेकर हमलावर रहे। मोदी सरनेम मानहानि मुकदमा विवाद को भाजपा ने राहुल गांधी के खिलाफ ओबीसी अपमान का मुद्दा बनाने की कोशिश की थी तो अब जवाबी दांव में कांग्रेस छह महीने के अंदर ही भाजपा के इस मजबूत आधार वोट में सेंध लगाने का गंभीर प्रयास करती दिख रही है।