कांग्रेस ने महंगाई के मुकाबले वेतन-मजदूरी में गिरावट को लेकर केंद्र पर दागे सवाल, कहा- आर्थिकी की चुनौतियों को लेकर सरकार बेपरवाह
राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने अर्थव्यवस्था की चुनौतीपूर्ण स्थिति से आम लोगों के रोजमर्रा की जिंदगी में मुश्किलें बढ़ने का दावा करते हुए बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कुछ बाहरी वित्तीय एजेंसियों के आकलनों तथा आंकड़ों का हवाला देते हुए पार्टी ने कहा मजदूरी में बेहद धीमी बढ़ोतरी के बीच महंगाई के कारण देश में लोगों की वास्तविक घरेलू आय में गिरावट आयी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने अर्थव्यवस्था की चुनौतीपूर्ण स्थिति से आम लोगों के रोजमर्रा की जिंदगी में मुश्किलें बढ़ने का दावा करते हुए बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कुछ बाहरी वित्तीय एजेंसियों के आकलनों तथा आंकड़ों का हवाला देते हुए पार्टी ने कहा वेतन और मजदूरी में बेहद धीमी बढ़ोतरी के बीच कमरतोड़ महंगाई के कारण देश में लोगों की वास्तविक घरेलू आय में गिरावट आयी है।
पार्टी ने आरोप लगाया कि महंगाई की तुलना में वास्तविक आमदनी में अभूतपूर्व गिरावट के तथ्य को लेकर केंद्र सरकार का रवैया ''''शुतुरमुर्ग'''' की तरह है और अर्थव्यवस्था की सबसे बुनियादी चुनौतियों से वह बेपरवाह है। लोकसभा चुनाव में महंगाई-बेरोजगारी के मुद्दे को चुनावी विमर्श की धुरी में रखने में मिली कामयाबी के बाद पार्टी लगातार जनता से जुड़े मुद्दों पर सरकार को आक्रामक तरीके से घेरने का प्रयास कर रही है।
महंगाई के कारण घटी मजदूरी-जयराम रमेश
कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को जारी बयान में एक जाने-माने माने ब्रोकरेज फर्म की नई रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत में वास्तविक घरेलू आय में लगातार गिरावट आ रही है। धीमी वेतन वृद्धि और कमरतोड़ महंगाई के कारण वास्तविक मजदूरी काफी घटी है। कई सर्वेक्षण और डेटा- जिनमें अपंजीकृत उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण , रिजर्व बैंक के केएलइएमएस और घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण के आंकड़े कामकाजी वर्ग के सामने गहराते वित्तीय संकट को दर्शाते हैं।जयराम ने कहा कि सरकार के अपने आधिकारिक आंकड़े भी इसका स्पष्ट प्रमाण देते हैं कि श्रमिकों की क्रय शक्ति आज 10 साल पहले की तुलना में कम हो गई है। श्रम ब्यूरो का वेतन दर सूचकांक बताता है कि श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी 2014-2023 के बीच स्थिर रही और 2019-2024 के बीच इसमें गिरावट आई है।कांग्रेस महासचिव के मुताबिक कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से साफ है कि जहां मनमोहन सरकार के कार्यकाल में खेतिहर मजदूरों की वास्तविक मजदूरी हर साल 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी वहीं मोदी सरकार में खेतिहर मजदूरों की वास्तविक मजदूरी में हर साल -1.3 प्रतिशत की गिरावट आई है।
निजी निवेश सुस्त क्यों बना हुआ है?
अर्थव्यवस्था की इन चुनौतियों पर प्रधानमंत्री तथा उनके मंत्रियों से चार सवाल करते हुए जयराम ने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि निजी निवेश सुस्त क्यों बना हुआ है और ओवरऑल निवेश में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी बीते चार वर्षों में सबसे निचले स्तर पर क्यों गिर गई है?दूसरा उपभोग वृद्धि इतनी कमजोर क्यों है और निजी अंतिम उपभोग व्यय वित्त वर्ष 2024 में केवल 4 प्रतिशत के आसपास क्यों बढ़ा? सरकार यह भी बताए कि वास्तविक वेतन-मजदूरी स्थिर क्यों या है या इसमें गिरावट क्यों आ रही है? जयराम ने कहा कि जीडीपी में मैन्युफैक्च¨रग क्षेत्र की प्रतिशत हिस्सेदारी यूपीए के कार्यकाल में 16.5 प्रतिशत से गिरकर आज 14.5 प्रतिशत रह गया है और कपड़ा जैसे श्रम प्रधान मैन्युफैक्चरिंग में यह गिरावट विशेष रूप से तेज क्यों है इस पर सरकार को अपना नजरिया साफ करना चाहिए।-