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50 प्रतिशत से अधिक कोटे के लिए संसद पारित करे कानून, JDU के बाद कांग्रेस ने भी सरकार से कर दी ये मांग

जदयू ने भाजपा से राज्य के कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने का अनुरोध किया ताकि उसकी न्यायिक समीक्षा की संभावना खारिज की जा सके। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी पार्टी कहती रही है कि एससी एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण से जुड़े राज्य के सभी कानूनों को नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए।

By Agency Edited By: Abhinav Atrey Published: Sun, 30 Jun 2024 07:39 PM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2024 07:39 PM (IST)
50 प्रतिशत से अधिक कोटे के लिए संसद पारित करे कानून- कांग्रेस (फाइल फोटो)

पीटीआई, नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा कि संसद को एक कानून पारित करना चाहिए, ताकि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो सके। विपक्षी पार्टी की ओर से यह बयान तब सामने आया है, जब एक दिन पहले जद(यू) ने बिहार में आरक्षण की सीमा को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की। केंद्र सरकार के सहयोगी घटक जनता दल (यूनाइटेड) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की शनिवार को बैठक हुई।

पार्टी ने उच्च न्यायालय के हालिया फैसले पर चिंता जताई। इसमें बिहार सरकार के अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दी गई। बैठक में एक राजनीतिक प्रस्ताव भी पारित किया गया।

राज्य के कानून को नौवीं अनुसूची में डालने का अनुरोध

इसमें जदयू ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से राज्य के कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने का अनुरोध किया, ताकि उसकी न्यायिक समीक्षा की संभावना खारिज की जा सके। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी पार्टी कहती रही है कि एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण से जुड़े राज्य के सभी कानूनों को नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए।

जद(यू) ने पटना में मांग उठाई

उन्होंने कहा, 'यह अच्छी बात है कि जद(यू) ने शनिवार को पटना में यही मांग उठाई है। लेकिन उसकी सहयोगी भाजपा राज्य और केंद्र दोनों जगह इस मामले पर पूरी तरह चुप है।'

ऐसे कानून न्यायिक समीक्षा के अधीन

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'आरक्षण कानूनों को 50 प्रतिशत की सीमा से परे नौवीं अनुसूची में लाना भी कोई समाधान नहीं है, क्योंकि 2007 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार ऐसे कानून न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं।'

संविधान संशोधन कानून की जरूरत

उन्होंने कहा कि इसके लिए संविधान संशोधन कानून की जरूरत है। उन्होंने कहा, ऐसी स्थिति में संसद के पास एकमात्र रास्ता यह है कि वह संविधान संशोधन विधेयक पारित करे, जिससे एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण 50 प्रतिशत से ज्यादा हो सके।

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