'उम्मीद है CJI चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्ति से पहले आ जाएगा निर्णय', कौन सा है ये केस? जिसके फैसले पर टिकीं कांग्रेस की निगाहें
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उम्मीद जताई है कि धन विधेयक से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुख्य मुख्य न्यायाधीश के सेवानिवृत होने से पहले आ सकता है। बता दें कि नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ सेवानिवृत्त होंगे। कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर अनुच्छेद 110 के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आधार सहित विभिन्न विधेयकों को मोदी सरकार द्वारा वित्त विधेयक के रूप में पारित कराने की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के गठन पर विचार करने को लेकर सोमवार को सहमति व्यक्त की। कांग्रेस को यह भी उम्मीद है कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्त होने से पहले इस मामले में निर्णय आ सकता है।
यह भी पढ़ें: उपचुनाव में बीजेपी को क्यों मिली सिर्फ एक सीट? जेपी नड्डा की मौजूदगी में होगा मंथनयाचिकाकर्ताओं का कहना है कि ऐसा राज्यसभा को दरकिनार करने के लिए किया गया था, क्योंकि वहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अल्पमत में थी। वित्त विधेयक ऐसा विधेयक है, जिसे केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है और राज्यसभा इसमें संशोधन या इसे अस्वीकार नहीं कर सकती है। उच्च सदन केवल सिफारिशें कर सकता है, जिन्हें निचला सदन स्वीकार भी कर सकता है और नहीं भी।
कपिल सिब्बल ने किया ये आग्रह
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ से सोमवार को आग्रह किया कि दलीलें पूरी हो चुकी हैं और याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की जरूरत है। सिब्बल ने कहा कि ये याचिकाएं संविधान पीठ की सुनवाई वाले मामलों की सूची में शामिल हैं। इसलिए संविधान पीठ का गठन प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए।
इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, जब मैं संविधान पीठ का गठन करूंगा, तब निर्णय लूंगा। इस बीच, कांग्रेस ने संविधान पीठ गठित करने की मांग पर विचार करने करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा सहमति जताने का स्वागत किया।
जयराम रमेश बोले- कई मामलों को दी थी चुनौती
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट में लिखा, "पिछले 10 सालों में कई विधेयकों को संविधान के अनुच्छेद 110 के तहत 'धन विधेयक' घोषित करके संसद में पारित कर दिया गया है। इसका एक अच्छा उदाहरण 2016 का आधार अधिनियम है। मैंने इसे धन विधेयक घोषित किए जाने को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उस वक्त के मुख्य न्यायाधीश ने अपने असहमतिपूर्ण फैसले में इस घोषणा को संविधान के साथ धोखाधड़ी बताया था। मैंने ऐसे और मामलों को भी चुनौती दी थी।