GST Council: GST काउंसिल को केंद्र की कठपुतली न बनाया जाए, त्रुटिपूर्ण जीएसटी से अर्थव्यवस्था हो रही बर्बाद: कांग्रेस
GST Council कांग्रेस के अनुसार मौजूदा बहुस्तरीय टैक्स दरों को खत्म कर एक आसान सिगल टैक्स आधारित जीएसटी व्यवस्था लागू किए बिना इसकी खामियों को दूर नहीं किया जा सकता। त्रुटिपूर्ण जीएसटी के कारण देश का एमएसएमई बर्बाद हो रहा है और लाखों नौकरियां समाप्त हो गई हैं।
By Ashisha RajputEdited By: Updated: Fri, 01 Jul 2022 09:32 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस ने कहा है कि जीएसटी कानून की पांचवीं वर्षगांठ जश्न का नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था को लगे गहरे जख्म से उबरने पर विचार करने का समय है और अर्थव्यवस्था को तबाही से बचाने के लिए मौजूदा त्रुटिपूर्ण जीएसटी कानून को रद कर नया जीएसटी कानून लाया जाना चाहिए। पार्टी ने जीएसटी कानून में बदलाव पर विचार करने के लिए संसद में बहस कराने, राज्यों के वित्त मंत्रियों से मशविरा करने के साथ ही सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग भी की है।
कांग्रेस के अनुसार -कांग्रेस के अनुसार मौजूदा बहुस्तरीय टैक्स दरों को खत्म कर एक आसान सिंगल टैक्स आधारित जीएसटी व्यवस्था लागू किए बिना इसकी खामियों को दूर नहीं किया जा सकता। त्रुटिपूर्ण जीएसटी के कारण देश का एमएसएमई बर्बाद हो रहा है और लाखों नौकरियां समाप्त हो गई हैं। इससे रोजगार का संकट लगातार गहराता जा रहा है। पूर्व वित्तमंत्री कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम और पार्टी के संचार महासचिव जयराम रमेश ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि वर्तमान जीएसटी में कुछ जन्मजात त्रुटियां थीं, जो पांच वर्षों के दौरान बद से बदतर हो गई हैं।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा-चिदंबरम ने कहा कि मौजूदा जीएसटी वैसा नहीं है जिसकी परिकल्पना कांग्रेस ने यूपीए सरकार के दौरान की थी। हम इसे सिंगल टैक्स दर आधारित गुड और सिंपल टैक्स बनाना चाहते थे। लेकिन मौजूदा जीएसटी छह टैक्स दरों, शर्तों, अपवादों और छूटों का एक जटिल मायाजाल है, जो एक जानकार करदाता को भी हैरत में डाल देता है और वह पूरी तरह कर-संग्राहक की दया पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि जीएसटी उपभोग आधारित टैक्स व्यवस्था है जिसमें उपभोक्ता वस्तु व सेवाओं के लिए टैक्स देता है लेकिन वित्त मंत्री का नजरिया ऐसा नहीं है और इसलिए बहुस्तरीय टैक्स स्लैब के जरिये ग्राहकों से ज्यादा कर वसूला जा रहा है। जीएसटी रिटर्न की संख्या का कोई युक्तिसंगत आधार नहीं है। ई-वे बिल और ई-चालान का अनुपालन आसान नहीं है। रिफंड का दावा करना एक दु:स्वप्न की तरह है और अदालतों में हजारों मामले चल रहे हैं।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी क्रियान्वयन की खामियों ने राज्यों और केंद्र के बीच अविश्वास की खायी को और गहरा कर दिया है। जीएसटी परिषद की बैठकों में राज्यों के वित्त मंत्रियों की कोई बात नहीं सुनी जाती। वोटिंग पैटर्न ऐसा है कि केंद्र अपनी मनमानी राज्यों पर थोप देता है। चिदंबरम के मुताबिक जीएसटी कांउसिल प्रधानमंत्री कार्यालय का एक विस्तार बन कर रह गया है। जीएसटी को विशेष परिस्थितियों में राज्यों के लिए लचीला नहीं होने की बात उठाते हुए जयराम रमेश ने कहा कि राज्यों के बकाए मुआवजे का भुगतान कर उन्हें आपदा जैसे हालात से निपटने के लिए विशेष सेस लगाने की छूट देनी चाहिए।
वहीं चिदंबरम ने कहा कि भाजपा शासित राज्य भी जीएसटी की त्रुटियों से परेशान हैं और विरोध करते हैं मगर राजनीतिक मजबूरी में वे सामने नहीं आते। जयराम ने मांग कि केंद्र की कठपुतली बन चुके जीएसटी काउंसिल की निष्पक्षता बहाल की जाए और कर्ज के बढ़ते बोझ को देखते हुए राज्यों के लिए जीएसटी मुआवजे को चार साल और बढ़ाया जाए। चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस मौजूदा जीएसटी को पूरी तरह से खारिज करती है और 2019 के अपने चुनाव घोषणापत्र में किए गए वादे के मुताबिक हम कम दर आधारित सिंगल नए जीएसटी 2.0 को लाने की दिशा में काम करेंगे।