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The Kerala Story Row: 'यह हमारे केरल की कहानी नहीं', फिल्म 'द केरल स्टोरी' पर भड़के कांग्रेस सांसद शशि थरूर

The Kerala Story Row फिल्म द केरल स्टोरी दावा करती है कि केरल से 32 हजार हिंदू और ईसाई लड़कियों का जबरन धर्म बदला गया था। फिल्म के इसी दावे पर केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर प्रतिक्रिया दी है।

By Mohd FaisalEdited By: Mohd FaisalUpdated: Mon, 01 May 2023 08:13 AM (IST)
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फिल्म 'द केरल स्टोरी' पर भड़के कांग्रेस सांसद शशि थरूर (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। फिल्म 'द केरल स्टोरी' पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब फिल्म 'द केरल स्टोरी' पर कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने आपत्ति जताई है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने फिल्म की आलोचना करते हुए कहा कि यह हमारे केरल की कहानी नहीं है।

'द केरल स्टोरी' पर मचा विवाद

दरअसल, फिल्म 'द केरल स्टोरी' दावा करती है कि केरल से 32 हजार हिंदू और ईसाई लड़कियों का जबरन धर्म बदला गया था। यहीं नहीं इन लड़कियों को ISIS में शामिल होने के लिए देश से बाहर भी भेजा गया था। फिल्म के इसी दावे पर केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर प्रतिक्रिया दी है।

शशि थरूर ने फिल्म पर जताई आपत्ति

तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने फिल्म का पोस्टर शेयर करते हुए लिखा है कि यह आपके केरल की कहानी हो सकती है, लेकिन यह हमारे केरल की कहानी नहीं है।

— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) April 30, 2023

सीएम पिनराई विजयन ने की फिल्म की आलोचना

इससे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी फिल्म की आलोचना की थी। उन्होंने इस फिल्म को संघ परिवार का प्रोपेगेंडा बताया था। विजयन ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि यह फिल्म केरल को बदनाम करने और राज्य को सांप्रदायिक रूप से बांटने के लिए बनाई गई है। उन्होंने लिखा कि फिल्म के ट्रेलर से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि फिल्म ने संघ परिवार के प्रोपेगेंडा को अपनाया है, जो केरल जैसी धर्मनिरपेक्ष भूमि को आतंकवादियों के गढ़ के रूप में स्थापित करता है।

फिल्म का विषय एक साजिश है- सीएम

विजयन ने कहा- फिल्म का केंद्रीय विषय लव जिहाद एक साजिश है, जिसे जांच एजेंसियों, अदालत और यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रोपेगेंडा फिल्मों का उपयोग करने का एक कारण यह है कि परिवार के राजनीतिक डिजाइन केरल में काम नहीं करते हैं, जैसा कि देश के अन्य हिस्सों में होता है। यही कारण है कि वे झूठी कहानियों के माध्यम से केरल में विभाजनकारी नीतियों के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।