राहुल की यात्रा से पूर्वोत्तर में कांग्रेस को बंधी बेहतर संभावनाओं की उम्मीद, कम से कम 10 सीटें हासिल करने का तय किया लक्ष्य
अगले लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीटों का आंकड़ा तीन अंकों तक पहुंचाने के पहाड़ जैसे लक्ष्य को हासिल करने की कोशिशों में जुटी कांग्रेस को पूर्वोत्तर राज्यों में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से काफी उम्मीदें बंधी हैं। एक हफ्ते के दौरान राहुल की यात्रा को मिले समर्थन के बाद पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में पूर्वोत्तर राज्यों में बेहतर प्रदर्शन पर ध्यान दे रही है।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। अगले लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीटों का आंकड़ा तीन अंकों तक पहुंचाने के पहाड़ जैसे लक्ष्य को हासिल करने की कोशिशों में जुटी कांग्रेस को पूर्वोत्तर राज्यों में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से काफी उम्मीदें बंधी हैं।
बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद में कांग्रेस
मणिपुर, नगालैंड से लेकर असम तक बीते एक हफ्ते के दौरान राहुल की यात्रा को मिले समर्थन के बाद पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में पूर्वोत्तर राज्यों में बेहतर प्रदर्शन कर कम से कम 10 सीटें हासिल करने पर फोकस करने में जुट गई है। दशकों तक मजबूत आधार वाले पूर्वोत्तर राज्यों में कांग्रेस की स्थिति पिछले दो आम चुनावों से लगातार कमजोर हुई है।
इन राज्यों में भाजपा ने उसकी जगह केंद्रीय भूमिका ले ली है। वर्तमान में पूर्वोत्तर की 25 में से कांग्रेस के पास केवल चार लोकसभा सीटें ही होना इन राज्यों में पार्टी की कमजोर हुई दशा की झलक दिखाता है। हालांकि न्याय यात्रा के दौरान मणिपुर, नगालैंड और असम में राहुल गांधी को देखने-सुनने को उमड़ रही भीड़ ने कांग्रेस में अगले चुनाव में बेहतर संभावनाओं की आस जगाई है।
पिछले बार कांग्रेस को कितनी सीटे मिली थी?
पूर्वोत्तर के सात राज्यों को मिलाकर लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं जिनमें सबसे अधिक 14 सीटें असम में है। तरुण गोगोई के नेतृत्व में 2016 तक लगातार तीन बार असम की सत्ता में रही कांग्रेस का इस दरम्यान लोकसभा सीटों पर भी दबदबा बना रहा मगर 2019 के आम चुनाव में पार्टी को सूबे में केवल तीन सीटें ही मिली।
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हिमंत विश्व सरमा के नेतृत्व में असम में भाजपा के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद कांग्रेस की जमीनी सियासत सूबे में और कमजोर हुई है। लेकिन बीते तीन दिनों में राहुल गांधी की यात्रा में दिखे जनसमर्थन के बाद पार्टी को असम में लोकसभा की सीटों का आंकड़ा वर्तमान की तुलना में कम से कम दोगुना होने की संभावनाएं नजर आ रही हैं।
पार्टी को मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और नगालैंड में भी पिछले चुनाव की तुलना में बेहतर करने की उम्मीद लग रही है। हालांकि सिक्किम और त्रिपुरा में पार्टी की राह अब भी काफी मुश्किल है।