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सरकार के आर्थिक पैकेज के एलान पर कांग्रेस ने उठाया सवाल

आनंद शर्मा ने कहा कि वित्तमंत्री ने भले ही पैकेज ऐलान को बड़ा इवेंट बनाया हो मगर तमाम पहले से चल रही स्कीमों को एक साथ शामिल कर इसे बड़ा दिखाने की कोशिश की गई है।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Wed, 25 Oct 2017 09:26 PM (IST)
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सरकार के आर्थिक पैकेज के एलान पर कांग्रेस ने उठाया सवाल
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने अर्थव्यवस्था को सुस्ती के दौर से उबारने के लिए 9 लाख करोड रुपए के पैकेज ऐलान को मायाजाल करार देते हुए सरकार पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया है। भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत होने और दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने के वित्तमंत्री अरुण जेटली के बयान को भी पार्टी ने तथ्यों से परे बताया है। कांग्रेस के मुताबिक सरकार के ऐलान में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का कोई रोडमैप नहीं है मगर इसके जरिए पहली बार एनडीए सरकार ने देश के सामने आर्थिक हालात खराब होने की बात कबूली है।

पूर्व वाणिज्य मंत्री पार्टी प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कांग्रेस की आधिकारिक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि वित्तमंत्री ने भले ही पैकेज ऐलान को बड़ा इवेंट बनाया हो मगर तमाम पहले से चल रही स्कीमों को एक साथ शामिल कर इसे बड़ा दिखाने की कोशिश की गई है।

शर्मा ने कहा कि भारतमाला कोई नई परियोजना नहीं है और इसमें के कुछ हिस्से पहले से ही बजट का हिस्सा हैं। सरकार ने तमाम सड़कों की परियोजना को इसमें शामिल कर पैसे जुटाने का जो खाका तैयार किया है वह पूरा सरकारी कर्ज या निजी निवेश पर आधारित है। शर्मा ने कहा कि जब पूरे देश का सालाना राजस्व ही 17 लाख करोड रुपए है तो अकेले 9 लाख करोड सड़कों के लिए कहां से जुट पाएंगे।

कांग्रेस नेता ने कहा कि डूबे कर्ज से गंभीर हालत का सामना कर रहे बैंकों के लिए 2 लाख 11 हजार करोड के पैकेज के प्रावधान में भी 1.35 लाख करोड रुपए बांड से जुटाया जाएगा और इससे सरकारी कर्ज में इजाफा होगा। जब बैंकों का एनपीए साढे सात लाख करोड रुपए है और हालात सुधारने के लिए न्यूनतम चार लाख करोड चाहिए। ऐसे में 2 लाख 11 हजार करोड से बैंको की सेहत नहीं सुधरेगी। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि निजी निवेश 63 साल के सबसे निचले स्तर पर है तो फिर बैंकों या सड़क के लिए निजी निवेश आने की गुंजाइश बेहद कम है। शर्मा ने कहा कि आज अर्थव्यवस्था नोटबंदी के गलत फैसलों का खामियाजा भुगत रही है तो दूसरी ओर नौकरियां छीन रही है और अकेले लघु व मध्यम उद्योग क्षेत्र में इसकी वजह से 3.70 करोड लोग रोजगार गंवा चुके हैं। संगठित क्षेत्र में भी नोटबंदी के पहले तीन माह में 15 लाख लोगों की नौकरियां चली गई।

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