अपने वजूद को फिर पाने की कोशिश में कांग्रेस, क्या वापस आएगी पुरानी चमक या धरी रह जाएंगे सभी पालिटिकल स्टंट, पढ़ें- एक्सपर्ट व्यू
कांग्रेस खुद को अपने पांव पर खड़ा करने की जो कोशिश कर रही है उसमें कई अड़चनें हैं। पहली अड़चन वो खुद है। सबसे पहले उसको अपने में मूलचूक बदलाव करने होंगे जिसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत होगी।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 08 Sep 2022 09:23 AM (IST)
नई दिल्ली (कमल कान्त वर्मा। मनमोहन सिंह सरकार के जाने के बाद से ही कांग्रेस लगातार अपना वजूद खोती गई है। आज कांग्रेस के नेताओं की तरफ से जो कुछ हो रहा है वो इसी वजूद को दोबारा पाने की कोशिश है। कभी देश की एक मजबूत राष्ट्रीय पार्टी की हालत आज बेहद खराब है। इसकी सबसे बड़ी वजह इसमें हुआ बिखराव, मजबूत नेतृत्व की कमी, एकजुटता और राजनीतिक जमीन पर पकड़ का लगातार कमजोर होना है। पार्टी से लगातार बाहर जाते नेता इसका जीता जागता उदाहरण हैं। हाल ही में जब जम्मू कश्मीर के बड़े नेता और कांग्रेस की सरकार में पूर्व मंत्री रहे गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से नाता तोड़ा था तो उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा से पहले कांग्रेस जोड़ो यात्रा करनी चाहिए। भले ही उनकी इस बात का मजाक बनाया गया हो लेकिन जानकार मानते हैं कि उनके इस बयान में दम है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक कमर आगा भी यही मानते हैं कि कांग्रेस को यदि इस परिस्थिति से उबरना है तो उसको सबसे पहले खुद को एकजुट करना होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो आज जिन राज्यों में उसकी सरकारें हैं कुछ समय के बाद वो भी नहीं रहेंगी। भाजपा जिस नीति से काम कर रही है उसमें कांग्रेस को पूरी तरह से खत्म कर देना शामिल है। लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस की हालत पहले ही खराब है। कई राज्यों में अन्य क्षेत्रीय पार्टियां बेहतर कर रही हैं। ऐसे में कांग्रेस को अपने में नए सिरे से जान फूंकनी होगी।
आगा का कहना है कि मौजूदा समय में कांग्रेस के पास में दमदार चेहरा नहीं है जो उसका सही नेतृत्व कर सके। एक एक कर उसके लोग उसका साथ छोड़ रहे हैं। कांग्रेस का वोट बैंक लगातार कम हो रहा है। पिछले चुनाव में पार्टी के नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जिस तरह से अपनी अमेठी की सीट को छोड़कर केरल भागे थे उसने कांग्रेस के बचे हुए वोटर्स में गलत संदेश फैला। इससे भाजपा राहुल गांधी को एक भगोड़ा नेता साबित करने में सफल रही। मौजूदा समय में वही राहुल गांधी कांग्रेस का बैक डोर से नेतृत्व संभाले हुए हैं।
कांग्रेस के नेता अपनी राजनीतिक जमीन भी खो बैठे हैं। आम जनता के बीच से कटे हुए ये नेताओं के चेहरे पर अब हताशा भी साफतौर पर दिखाई दे रही है। कांग्रेस के ग्रुप 23 ने पहले ही कांग्रेस की जमीन खोखली कर दी है। कांग्रेस की सबसे बड़ी कमी है कि वो अपने में मंथन नहीं करना चाहती है। इसके बावजूद वो बीते 7-8 वर्षों में कई बार चिंतन कर चुकी है। आगा के मुताबिक एक समय में कांग्रेस का झंडा उठाने वाला आम आदमी आज नदारद है। भ्रष्टाचार में गले तक फंसी कांग्रेस का उबर पाना अब काफी मुश्किल दिखाई देता है। कांग्रेस ने जितने लंबे समय तक राज किया है उसमें कई इलाकों का कोई विकास ही नहीं हुआ।
कांग्रेस समेत विपक्ष के बाबत एक सवाल के जवाब में कमर आगा ने कहा कि मौजूदा समय में विपक्ष भी अपनी डपली अपना राग अलाप रहा है। इसमें एकजुटता की कमी है। भाजपा की मजबूती की एक बड़ी वजह यह भी है कि कांग्रेस समेत दूसरी पार्टियां एकजुट नहीं होकर उसको टक्कर देने के हालात में नहीं हैं। कांग्रेस आम जनता के मुद्दों को उठाने में पीछे रही है। इतना ही नहीं देश की जनता को अब ये लगता है कि कांग्रेस केवल विरोध की राजनीति कर रही है। इसका नुकसान भी कांग्रेस को हो रहा है। कांग्रेस की तरफ से आए बयानों में भी गंभीरता की कमी दिखाई देती है। लोकसभा में उसके ही नेता कई बार ऐसे बयान दे जाते हैं जिन पर कांग्रेस खुद घिर जाती है।