संविधान पीठ ने एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर अटॉर्नी जनरल से मांगी सलाह, परिवहन मंत्रालय का पक्ष भी जाना
सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि परिवहन वाहन जिनका कुल वजन 7500 किलोग्राम से अधिक नहीं है को एलएमवी की परिभाषा से बाहर नहीं रखा गया है। संविधान पीठ एक कानूनी प्रश्न पर विचार कर रही है जिसमें लिखा है कि क्या एलएमवी के संबंध में ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति उस लाइसेंस के आधार पर हल्के मोटर वाहन वर्ग के वाहन को चलाने का हकदार हो सकता है।
नई दिल्ली, प्रेट्र: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस कानूनी सवाल से निपटने के लिए अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी की सहायता मांगी कि क्या हल्के मोटर वाहन (एलएमवी) के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति कानूनी तौर पर एक विशेष वजन के परिवहन वाहन को चलाने का हकदार है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की स्थिति जानना आवश्यक होगा, क्योंकि यह तर्क दिया गया था कि मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले को केंद्र ने स्वीकार कर लिया था और उन्हें फैसले के साथ समायोजित करने के लिए नियमों में संशोधन किया गया था।
मुकुंद देवांगन मामले में सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने माना था कि परिवहन वाहन जिनका कुल वजन 7,500 किलोग्राम से अधिक नहीं है, को एलएमवी की परिभाषा से बाहर नहीं रखा गया है। संविधान पीठ एक कानूनी प्रश्न पर विचार कर रही है, जिसमें लिखा है कि क्या एलएमवी के संबंध में ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति उस लाइसेंस के आधार पर हल्के मोटर वाहन वर्ग के वाहन को चलाने का हकदार हो सकता है, जिसका वजन 7,500 किलोग्राम से अधिक न हो।
गुरुवार को पीठ ने अपने समक्ष प्रस्तुत प्रमुख दलीलों में से एक पर गौर किया कि मुकुंद देवांगन मामले में फैसले को केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया था और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 16 अप्रैल 2018 और 31 मार्च, 2021 को अधिसूचना जारी की थी, जिसके परिणामस्वरूप नियमों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप लाने के लिए संशोधन किया गया था। पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा जस्टिस हृषिकेश राय, पीएस नरसिम्हा, पंकज मिथल और मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।