दूषित जल बिगाड़ रहा सेहत, हर साल असुरक्षित पानी से एक अरब लोग हो रहे बीमार
दूषित जल बिगाड़ रहा सेहत! यूनेस्को की विश्व जल विकास रिपोर्ट 2022 बताती है कि दुनिया की लगभग आधी आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहां साल में कम से कम एक महीने के लिए जल का गंभीर संकट बना रहता है।
By TilakrajEdited By: Updated: Wed, 20 Jul 2022 11:17 AM (IST)
नई दिल्ली, सुधीर कुमार। गत 16 जुलाई को ओडिशा के रायगढ़ा में दूषित पानी पीने से छह लोगों की मौत हो गई और 71 लोग बीमार पड़ गए। नौ जुलाई को महाराष्ट्र के अमरावती में कुएं का पानी पीने से तीन लोगों की मौत और 47 लोगों के बीमार होने का समाचार आया। उससे पहले कर्नाटक के रायचूर में तीन लोगों की मौत की वजह भी दूषित पानी पीना ही रहा।
इन घटनाओं से पुष्टि होती है कि जीवन का पर्याय पानी अब अपने साथ बीमारियां और मौत भी ढोने लगा है।विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो दुनिया भर में कुल आबादी का एक चौथाई हिस्सा यानी दो अरब लोग दूषित पेयजल का उपभोग करने को विवश हैं। इसके खतरे के बारे में डब्ल्यूएचओ का कहना है कि दूषित जल के सेवन से दर्जनों बीमारियां दस्तक देने लगती हैं।
दूषित पेयजल पीने को अभिशप्त आबादी को हैजा, टाइफायड, डायरिया, कुपोषण, कैंसर, बाल और पेट संबंधी बीमारियों से भी जिद्दोजहद करनी पड़ती है। गरीबी और जानकारी के अभाव में जो लोग इस परिस्थिति का सामना नहीं कर पाते हैं, वे असमय काल-कलवित हो जाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि हर साल असुरक्षित पानी लगभग एक अरब लोगों को बीमार करता है।
यूनेस्को की विश्व जल विकास रिपोर्ट, 2022 बताती है कि दुनिया की लगभग आधी आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है, जहां साल में कम से कम एक महीने के लिए जल का गंभीर संकट बना रहता है।
इस रिपोर्ट के अनुसार भारत विश्व में भूजल का सबसे अधिक उपयोग करने वाला देश है। सिकुड़ते जलस्नेत और बढ़ते जल प्रदूषण के कारण भूमिगत जल बड़ी तेजी से दूषित होता जा रहा है। चूंकि जल एक सार्वभौमिक विलायक है, इसलिए यह आसानी से प्रदूषित हो जाता है। जल में मुख्यत: आर्सेनिक, फ्लोराइड और नाइट्रेट, औद्योगिक एवं कृषि अपशिष्ट, माइक्रोप्लास्टिक, चिकित्सीय कचरा आदि संदूषक मिले होते हैं।
तांबा, शीशा, क्रोमियम और रेडियोधर्मी पदार्थ भी जलस्नेतों के संपर्क में आने पर जल को दूषित कर जानलेवा बना देते हैं। अशोधित पानी में बैक्टीरिया, जीवाणु और परजीवी जैसे जैव-संदूषक भी होते हैं। प्रदूषक जल में इतनी सूक्ष्मता से घुले होते हैं कि ये आंखों से दिखते भी नहीं। हालांकि पानी को गर्म करने पर इस फर्क को साफ देखा जा सकता है।
अत: शोधित या गर्म किए बिना ऐसा पानी पीने से बचना चाहिए, अन्यथा बीमार होने और मृत्यु का खतरा दोनों बढ़ जाता है।देश की बड़ी आबादी के पास शुद्ध पानी की व्यवस्था नहीं है, न ही उसे स्वच्छ बनाने की तकनीक तक उनकी पहुंच है। ऐसे में जाने-अनजाने लोग सेहत का नुकसान कर रहे हैं। इस दिशा में मोदी सरकार की हर घर नल जल योजना मील का पत्थर साबित हो सकती है, जो सभी नागरिकों को स्वच्छ और सुरक्षित जल सुलभता से उपलब्ध कराने की वैचारिकी पर केंद्रित है।
(लेखक बीएचयू में शोधार्थी हैं)