'सार्वजनिक माफी मांगें या प्रस्ताव वापस लें', बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ने कपिल सिब्बल को क्यों दी चेतावनी?
Kolkata Rape Murder Case वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष आदिश सी अग्रवाल ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कोलकाता दुष्कर्म-हत्याकांड पर बार एसोसिएशन के एक प्रस्ताव को लेकर अग्रवाल ने मांग की है कि सिब्बल सार्वजनिक माफी मांगें या प्रस्ताव वापस लें। जानिए क्या है पूरा मामला।
एएनआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से कोलकाता दुष्कर्म हत्याकांड पर एक प्रस्ताव जारी करने को लेकर कपिल सिब्बल विवादों में घिर गए हैं। कपिल सिब्बल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष आदिश सी अग्रवाल ने कहा है कि या तो सिब्बल प्रस्ताव वापस लें या फिर प्रत्येक सदस्य से सार्वजनिक माफी मांगें।
साथ ही आदिश अग्रवाल ने चेतावनी दी कि ऐसा न करने पर कपिल सिब्ब्ल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के वर्तमान अध्यक्ष कपिल सिब्बल को लिखे पत्र में आदिश सी. अग्रवाल ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या से संबंधित एक प्रस्ताव पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
प्रस्ताव को बताया अनधिकृत
अग्रवाल ने पत्र में कथित एससीबीए प्रस्ताव जारी करने को लेकर सिब्बल की आलोचना की है, जिसमें कोलकाता की घटना को "लक्षणात्मक अस्वस्थता" के रूप में बताया गया है और सुझाव दिया गया है कि ऐसी घटनाएं आम हैं। अग्रवाल का कहना है कि ये प्रस्ताव अनधिकृत था और कार्यकारी समिति की सहमति के बिना एकतरफा जारी किया गया था।72 घंटे के अंदर सार्वजनिक माफी की मांग
उन्होंने सिब्बल पर अपने पद का इस्तेमाल कर घटना की गंभीरता को कम करने और ऐसे बयान देकर संबंधित मामलों में पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व करके हितों के टकराव का आरोप लगाया। पत्र में मांग की गई है कि सिब्बल प्रस्ताव वापस लें और 72 घंटे के भीतर सार्वजनिक माफी मांगें। ऐसा न करने पर सिब्बल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।
अग्रवाल का तर्क है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश का उल्लेख करके और एक कथित एससीबीए प्रस्ताव जारी करके, सिब्बल ने न केवल अदालत और जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया है, बल्कि एससीबीए अध्यक्ष की भूमिका की विश्वसनीयता और अखंडता को भी नुकसान पहुंचाया है। अग्रवाल का कहना है कि इस कार्रवाई से चिकित्सा और कानूनी समुदायों को गहरी चोट पहुंची है और एससीबीए की प्रतिष्ठा पर असर पड़ा है।